Thursday, March 28, 2024
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हजारीबाग: अवैध चालान के सहारे जारी है बालू और कोयले की तस्करी

पकड़े जाने पर ट्रक ड्राइवर ने कहा,  थाना से बात कर लें,  सब मैनेज है

अजय निराला / उज्ज्वल दुनिया/ हजारीबाग। पुलिस मुख्यालय द्वारा बालू-कोयला तस्करी पर लगाम लगाने आदेश के बाद भी हजारीबाग जिले में आदेश पर अमल नहीं हो पा रहा है।  जिले में डंपिंग यार्ड और कॉल फैक्ट्रियों के नाम जारी बालू-कोयले के चालान पर ओवर लोड वाहनों का परिचालन जोर शोर से चल रहा है। राजनेता, पुलिस, माइनिंग विभाग के मिलीभगत से चल रहे खनिजों के तस्करी सिंडिकेट का खुलासा होने के बाद भी कोई लगाम लगाने में हजारीबाग प्रशासन असफल साबित हो रही है। 

आखिर वो कौन है जिसे डीजीपी के आदेश का भी डर नहीं ?

डंपिंग यार्ड के नाम सीधे नदी से बालू तस्करी किए जाने के खुलासे के बाद मुख्यमंत्री, डीजीपी को टैग कर करते हुए प्रमोद गुप्ता के एक ट्वीट ने बालू तस्करी में फर्जी चालान का उपयोग कर सरकार को करोड़ों रूपए के राजस्व का नुकसान होने की बात जानकारी दिया है। इसमें कहा गया है कि राज केसरी प्रोजेक्ट के द्वारा एनएच -2 सड़क निर्माण में अवैध चालान से करोड़ो की हेराफेरी कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ट्वीट में कहा है कि पांडेयबारा कैंप का चालान कोसमा बरकट्ठा कैंप में किया जा रहा है। डीजीपी ने इस मामले को हज़ारीबाग़ डीसी-एसपी को कार्रवाई का आदेश ट्विटर पर दिया है। 

बड़कागांव बना बालू और कोयला तस्करी का केन्द्र 

फर्जी चालान पर बालू तस्करी का खेल महीने से जिले में चलाया जा रहा है। जिसका मुख्य केंद्र बड़कागांव बना हुआ है। जहां एक जनप्रतिनिधि के करीबी रिश्तेदार पूरे सिंडिकेट को चला रहे हैं। बड़कागांव में कोडरमा के डंपिंग यार्ड के चालान का उपयोग कर नदियों से बालू उठाव कर महंगे दाम में शहरों में बेचा जा रहा है। कटकमदाग थाना क्षेत्र बालू और कोयले तस्करी का ट्रैफिक जोन माना जाता है। वहीं से गुजर कर जिले व आसपास के इलाकों में बालू-कोयला जाता है। इसके साथ चालान के सहारे ओवरलोड कोयला तस्करी भी जिले में चलाया जा रहा है।  स्थानीय फैक्ट्रियों को सस्ते दाम में मिलने वाले कोयले को कागजी हेरफेर कर खुले बाजार में बेच दिया जाता है । 

थाना से बात कर लिजिए 

शुक्रवार को दिन के उजाले में कुजु रेलवे साइडिंग से ओवरलोड हाइवा में डस्ट कोयला कटकमदाग थाना क्षेत्र के नर्सिंग प्लांट में जा रहा था। हाइवा का नम्बर भी स्पष्ट प्लेट भी स्पष्ट नही था। सिर्फ एक हाइवा में आगे का नंबर दिख रहा था।  ऐसे में सवाल यह है कि दिन के उजाले में शहर से गुजर कर ओवर लोड कोयला कैसे जा रहा है ? दूसरा सवाल यह कि फ़ोटो में वाहनों में कोयला के नाम डस्ट दिख रहा है। तो फैक्ट्री के नाम जारी कोयला कहां जा रहा है ?
चालक प्रकाश कुमार से पूछने पर कहा कि मालिक और थाना से बात कर लीजिए या करवा देते हैं।  ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद जिले में बालू और कोयला तस्करी पर लगाम क्यों नहीं लग पा रहा। कहीं जिला प्रशासन मजबूत राजनीतिक सिंडिकेट  से चल रहे खनिज तस्करी पर हाथ डालना नही चाहता ?

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