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तीन घंटे तक झारखंड कांग्रेस विधायक दल की बैठक में क्या हुआ?

करीब तीन घंटे तक बंद कमरे में कांग्रेस के विधायकों का मंथन
करीब तीन घंटे तक बंद कमरे में कांग्रेस के विधायकों का मंथन

सबसे पहले तो आधिकारिक बयानों को पढ़ लिजिए । बंद कमरे में चली कांग्रेस “विधायक दल की बैठक में संगठन की मजबूती पर चर्चा हुई । कांग्रेस के कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाने और सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर आकलन के लिए रणनीति तैयार की गई वगैरह…वगैरह….”

अब आते हैं मेन मुद्दे पर…

विधायक दल की बैठक से पहले चार विधायकों का दिल्ली दौरा चर्चा में रहा । उपर से इरफान अंसारी ने “एक व्यक्ति, एक पद” की मांग कर दी । जब इतने से भी जी नहीं भरा तो रामेश्वर उरावं को विफल प्रदेश अध्यक्ष बता दिया। मतलब स्टेज बिल्कुल सेट था ।

कांग्रेस विधायक दल की बैठक के अंदर की बातचीत का ब्योरा देने से पहले ये बताना जरूरी है कि ठीक उसी वक्त दिल्ली में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के सभी महासचिव की बैठक बुलाई थी । केसी वेणुगोपाल भी उस बैठक में शामिल थे और उन्होंने झारखंड में बदल रहे राजनीतिक हालातों पर भी मैडम को ब्रीफ किया।

अब कांग्रेस विधायक दल की बैठक की अंदर की कहानी….

नोट:- ये सभी जानकारियां अलग-अलग नेताओं और पत्रकारों से हुई बातचीत के आधार पर हैं।

कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल कांग्रेस कोटे के चारो मंत्री
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल कांग्रेस कोटे के चारो मंत्री

विधायकों के दिल्ली दौरे पर एक विधायक ने रामेश्वर उरावं को संबोधित करते हुए पूछा। रामेश्वर उरावं कुछ कहते इससे पहले ही विधायक जी बोल उठे ।

“काहे, दिल्ली जाने पर रोक है क्या?

रामेश्वर उरावं:- मैंने इसपर कुछ कहा है क्या?

विधायक:- हमारा भी अधिकार है कि हम अपनी बात शीर्ष नेतृत्व से जाकर कहें। इसपर कोई रोक है तो बता दीजिए?

फिर बात सरकार की शुरू हुई…इसपर रामेश्वर उरावं बुरी तरह घिर गए।

एक विधायक:- क्षेत्र में जाकर देख लीजिए, हमलोगों का एक भी काम नहीं हो रहा। लगता ही नहीं कि कांग्रेस की सरकार है ?

दुसरा :- अधिकारी लोग एकदम वैल्यू नहीं दे रहा , सरकार में भी हमारी नहीं सुनी जा रही ।

तीसरा:- प्रदेश अध्यक्ष जी, आपको इसपर बात करनी होगी । जब हमलोगों का कुछ काम ही नहीं होगा तो फिर जनता के बीच जाकर क्या कहें ?

बागी गुट का एक विधायक:- जब हेमंत सोरेन आपकी सुन ही नहीं रहे तो फिर ऐसे सरकार में रहने से क्या फायदा? बाहर से ही समर्थन दे दिजिए ?

.(….थोड़ी देर बहसबाजी, हल्ला…हंगामा….)

कांग्रेस में चुनाव बाद शामिल हुए एक विधायक:– कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों की पीड़ा तो समझनी होगी । हम सब अपने-अपने क्षेत्र में यही समस्या फेस कर रहे हैं। अधिकारियों को लगता है कि ये सिर्फ झामुमो की सरकार है, या फिर कांग्रेस में सिर्फ चार मंत्री ही हैं ।

दूसरा विधायक:- बाकी विधायकों की भी इज्जत होनी चाहिए, हम भी चुनाव जीतकर ही आए हैं।

तीसरा:- कभी दीपिका पांडे सिंह जी पर केस हो जा रहा है, कभी अंबा प्रसाद पर…झामुमो विधायकों के साथ कभी ऐसा हो, फिर देखिए….

बागी गुट का एक विधायक:- सब आपके लुंज-पुंज रवैये के कारण है ।

# कुल मिलाकर सारांश बस इतना ही….

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