दुमका/ पाकुड़। राजमहल की पहाड़ी श्रृंखला के बीचो बीच से बहने वाली बरसाती गुमानी नदी से लगातार बालु उठाव से नदी की अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगता नजर आ रहा है। जबकि सूबे मे जंगल, जमीन को संरक्षण देने का दावा करने वाली हेमंत सोरेन की सरकार है। उसके बाद भी एनजीटी के 15 अक्टूबर तक नदियों से बालू उठाव पर पूर्ण प्रतिबंध प्रत्येक वर्ष रहता है। उसके बाद भी सूबे मे बालू का अवैध कारोबार मे कोई कमी नही आई है।
इसके पूर्व भी हेमंत सरकार पर बालू माफियाओ के सांठगांठ से कई आरोप लग चूके है। बरहेट और पाकुड़ विस क्षेत्र की प्रमुख है गुमानी नदी। वहीं सूबे के सीएम और ग्राविमं का विस क्षेत्र है। जहां बालू माफिया बेलगाम है। नदी से बालू उठाव थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां रोज खुले तौर पर बालू घाट तक ट्रैक्टर पहुंच जा रहे है। जबकि एनजीटी ने 15 जून से लेकर 15 अक्टूबर तक पुरे राज्य में बालू उठाव पर रोक लगा दी है।
नदी के बरहेट, गुमानी से बालू माफियाओं के द्वारा सालो भर बालू उठाव जारी रहता है। किसी भी तरह से किसी भी नियम का कोई पालन नहीं होता है। जिससे कि नदी का अस्तित्व खतरे में तब्दील हो रहा है। गर्मी के शुरुवाती दौर में ही नदी का पानी चट हो जाता है।