Thursday 5th of December 2024 01:44:17 PM
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नीतीश कुमार: बिहार के मुख्यमंत्री की राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन

नीतीश अब बड़े भाई नहीं?

नीतीश कुमार, बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता, बड़े भाई के रूप में चर्चित रहे हैं। उनकी नेतृत्व वाली जेडीयू ने बिहार में लंबे समय तक सत्ता की ओर से राजनीति की। हालांकि, हाल ही में हुए घटनाक्रमों ने दिखाया है कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी की स्थिति में कुछ परिवर्तन हुआ है।

नीतीश कुमार ने हाल ही में बीजेपी के साथ गठबंधन बनाया है। इससे पहले वे जेडीयू के साथ गठबंधन में थे, लेकिन अब उन्होंने अपनी पार्टी को बीजेपी के साथ जोड़ा है। यह गठबंधन बिहार में राजनीतिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण कदम है।

जेडीयू से ज्यादा सीट पर लड़ेगी बीजेपी

नीतीश कुमार के गठबंधन के बाद से, बीजेपी बिहार में अपनी राजनीतिक बढ़त को बढ़ा रही है। इस गठबंधन के बाद से, बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की संख्या को बढ़ाया है और अब वे जेडीयू से ज्यादा सीटों पर लड़ रही हैं।

यह बदलाव बिहार की राजनीतिक स्थिति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। जेडीयू को अपनी बड़ी संख्या के कारण हमेशा सत्ता का वजन मिला है, लेकिन अब बीजेपी उनसे आगे निकल रही है। इससे ज्यादा सीटों पर लड़ने से, बीजेपी को बिहार में अधिकतम सत्ता की उम्मीद है।

क्या पाला बदल ने घटा दिया कद

नीतीश कुमार के गठबंधन के बाद कई राजनीतिक दलों ने अपनी राय बदली है। पाला बदल, जो पहले जेडीयू के सदस्य थे, ने अपनी पार्टी को छोड़कर बीजेपी के साथ जुड़ लिया है। इससे उनके बीजेपी के साथ गठबंधन में बड़ी भूमिका मिली है।

पाला बदल के इस बदलाव ने नीतीश कुमार के साथी दलों को भी प्रभावित किया है। कुछ दलों ने बीजेपी के साथ गठबंधन की घोषणा की है, जबकि कुछ दल अभी भी नीतीश कुमार के साथ जुड़े हुए हैं। इस बदलाव ने नीतीश कुमार की सत्ता पर असर डाला है और उनकी सामरिक भूमिका को कम कर दिया है।

पाला बदल के बाद बीजेपी के साथ जुड़ने वाले और नीतीश कुमार के साथ जुड़े हुए दलों के बीच एक राजनीतिक युद्ध भी शुरू हो गया है। इस युद्ध में सभी पक्ष अपनी सत्ता की रक्षा करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। यह युद्ध बिहार की राजनीतिक दलों के बीच एक महत्वपूर्ण रंगभूमि बन चुका है।

इस बदलाव ने नीतीश कुमार के राजनीतिक कद को कम कर दिया है। उन्हें अब बड़े भाई के रूप में देखा जाना मुश्किल हो गया है। उनकी पार्टी को बीजेपी के साथ जुड़ने का फ़ायदा तो मिला है, लेकिन इसके साथ ही वे अपने पूर्व साथियों को खो रहे हैं। इससे नीतीश कुमार की राजनीतिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।

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