फिया फाउंडेशन झारखंड सरकार के श्रम विभाग निभा रही अहम भूमिका
उज्ज्वल दुनिया /रांची । प्रवासी मजदूरों को वापस लाने में अहम् भूमिका निभानी वाली ‘ फिया फाउंडेशन ’ अब मजदूरों की स्क्रिनिंग कर उनके हाथों में रोजगार देने की तैयारी में जुटी है। अजीम प्रेमजी फाइलेंट्ररोपिक इनिशिएटिव की सहयोगी संस्था फिया फांउडेशन विगत 26 मार्च 2020 से प्रवासी मजदूरों के लिए निरंतर काम कर रही है।
200 स्वयंसेवी संस्थाओं ने संभाला मोर्चा
राज्य सरकार की पहल पर फाउंडेशन ने नेपाल हाउस स्थित मंत्रालय में कंट्रोल रूम स्थापित किये, जिसमें 200 स्वंयसेवी संगठन से जुड़े वोलेंटियर ने मोर्चा संभाला, जिनमें स्वंयसेवी संगठन, जेएसएलपीएस, वायरलेस वूमेन पुलिस शामिल थे। ट्रॉल फ्री नंबर पर पूरे 24 घंटे फोन घनघनाते और वोलेंटियर उनका कॉल अटेंड कर उनकी समस्या का समाधान निकालने में जुटे रहे। शुक्रवार को भी 60 वोलेंटियर कंट्रोल रूम में प्रवासी मजदूरों के साथ संपर्क स्थापित कर उनकी समस्याओं को समझने और उसके निदान में जुटे हैं। प्रवासी मजदूरों के साथ आज भी कंट्रोल रूम संपर्क में है और उनके स्वास्थ्य से लेकर रोजगार तक की परामर्श उपलब्ध करा रही। वापस आये 8 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों में साढ़े तीन लाख कुशल श्रमिक के रूप में पहचान किये गये हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत रोजगार की रूपरेखा तैयार की जा रही है।
8 लाख 50 हजार 784 मजदूरों की हुई वापसी
23 मार्च 2020 को देश के प्रधानमंत्री ने लॉक डाउन की आधिकारिक घोषणा के साथ ही सबसे बड़ी मुसिबत प्रवासी मजदूरों के सामने आयी। खान पान और रहने के साथ साथ उनके रोजगार पर भी संकट आ गये। अपनी दैनिक समस्या से जूझते हुए प्रवासी मजदूरों ने अपने काम की जगह से पलायन करना शुरू किया और जो तस्वीर सामने आयी, वो सबको निशब्द और चौकाने वाले थे। किसी राज्य की सरकार ने ऐसे हालात की उम्मीद नहीं की थी। झारखंड कंट्रोल रूम में दिन रात फोन आने लगे और उनकी वापसी की रणनीति बनने लगी। सरकार की ओर से 10 से अधिक टॉल फ्री नंबर जारी किये गये, जिसके तहत प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन आरंभ हुआ। 2 मई को हैदराबाद के लिंगमपल्ली से पहली ट्रेन प्रवासी मजदूरों को लेकर रांची पहुंची जिसमें 1116 प्रवासी मजदूर थे। उसके ठीक 20 दिन बाद 28 मई को 180 प्रवासी मजदूरों को लेकर फ्लाईट मुम्बई से रांची पहुंची।
पांच जिलों में शुरू किये जीदन कार्यक्रम
फिया फाउंडेशन ने कोविड-19 के मौजूदा हालात के मद्देनजर रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा जिले में विशेष कार्यक्रम की शुरूआत की है। इस योजना को झारखंड इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड न्यूट्रिशन प्रोग्राम (जीदन) का नाम दिया गया है। संस्था प्रखंड स्तर पर कॉर्डिनेटर की नियुक्ति कर रहा, जिसके माध्यम से गांव स्तर तक स्वास्थ्य के कार्यक्रम चलाये जायेंगे। राशन के साथ सुरक्षा किट भी बांटे फिया नेसंस्थान ने 10 हजार से अधिक जरूरतमंदों तक सूखा राशन पहुंचाया। राशन के किट में 4 किलो आंटा, पाउडर दूध के पैकेट, एक किलो चना, दाल, तेल, सोयाबीन के साथ साथ घरेलु चीजों को शामिल किया गया। जिसमें हेंड वॉश, सैनेटरी नैपकिन, फ्लोर क्लीनिंग, मॉस्क्यूटो क्वॉल के साथ साथ बच्चों के लिए नोटबुक, ड्राईंग बुक, कलर पेंसिल भी शामिल थे। फिया फाउंडेशन ने हेल्थ केयर किट के तहत बरनाबास अस्पताल व के.सी मेमोरियल अस्पताल को 400 पीपीई किट और मास्क उपलब्ध कराये।
5 ट्रूनेंट एंव 2 थर्मो फीशर आर.एन.ए एक्सट्रेक्टर मशीन सरकार को दिये
झारखंड सरकार को अबतक फाउंडेशन ने लगभग 4.61 करोड़ रूपये की मेडिकल इक्यूपमेंट उपलब्ध कराये हैं। इस मेडिकल रिलिफ आईट्म में फील्ड हल्थ वर्कर के लिए सुरक्षात्मक किट से लेकर चिकित्सालय में जांच किट तक शामिल हैं। संस्था ने राज्य को 5 ट्रूनेट मशीन, 2 थर्मो फीशर आर.एन.ए एक्सट्रेक्टर, 29 हजार पीपीई किट, 36 हजार N-95 मास्क, 10 हजार सर्जिकल मास्क उपलब्ध कराये हैं
कंट्रोल रूम संचालित करना थी बड़ी चुनौती – जॉनसन टोप्पनो
फिया फाउंडेशन के राज्य प्रमुख जॉनसन टोप्पनो ने बताया कि कोविड-19 का यह दौर हर आम और खास लोगों के लिए अलग अलग तरह की परेशानी लेकर आया है। सबसे बड़ी समस्या प्रवासी मजदूरों की रही, जिसकी वापसी सुनिश्चित करना वाकई एक बड़ी चुनौती थी। 26 मार्च 2020 से लगातार तीन महीने तक दिन रात उनकी टीम काम में जुटी रही। एक भी दिन छुट्टी नहीं ली और 18 घंटे तक कंट्रोल रूम में डटे रहे। सरकार का स्पष्ट निर्देश था कि किसी भी तरह प्रवासी मजदूरों की जरूरतों को पूरी तरह ख्याल रखा जाये। ना केवल उनकी वापसी की तारीख तय हो, बल्कि उनके अस्थायी ठिकाने तक राहत और राशन भी उपलब्ध कराये जायें। इस काम में राईट टू फूड के बलराम जी, सुनील मिंज और पूर्व टीएसी सदस्य रतन तिर्की ने हाथ बंटाये। चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। उनके लिए उनके निवास स्थान पर रोजगार उपलब्ध हो, यह तय होने तक उनकी टीम काम करेगी।