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रक्षा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर होगा भारत, एमएसएमई होंगे बड़े प्लेयर : पोद्दार

राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के प्रश्न पर सरकार ने दी जानकारी 

उज्ज्वल दुनिया /रांची : हिन्दुस्तान जल्दी ही रक्षा उपकरणों के निर्माण में न सिर्फ आत्मनिर्भर होगा बल्कि जल्दी ही दुनिया का बड़ा निर्यातक देश बनेगा| ख़ास बात यह है कि रक्षा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण में छोटे व मध्यम उद्यम को भी पर्याप्त मौके मिल रहे हैं| इससे देश की सामरिक ताकत बढ़ेगी, अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी, रोजगार के मौके बढ़ेंगे और एमएसएमई सेक्टर का विकास होगा| राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए रक्षा राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक ने यह जानकारी दी|

मंत्री श्री नाईक ने बताया कि रक्षा क्षेत्र में ‘मेक-इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के अन्तर्गत रक्षा मंत्रालय ने 101 मदों की सूची तैयार की है, जिनके आयात पर एक तय समयसीमा में प्रतिबन्ध लगा दिया जायेगा| इस सूची में तोपखाना, बंदूकें, असाल्ट राइफल,लड़ाकू जलपोत, सोनार प्रणाली,परिवहन विमान,हल्के युद्धक हेलीकाप्टर (एलसीएच), रडार आदि शामिल हैं| 

रक्षा उद्योग क्षेत्र, जो अब तक केवल सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित था, को 26 प्रतिशत तक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के साथ भारतीय निजी क्षेत्र की शतप्रतिशत भागीदारी हेतु खोल दिया गया है| इसके अलावा, सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में विभिन्न रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए 44 एफडीआई/संयुक्त उपक्रम स्वीकृत किये गये हैं।

प्रतिवर्ष विकास लागत 3 करोड़ रुपये और खरीद लागत 50 करोड़ रुपये से कम के मेक-॥ परियोजनाओं को एमएसएमई के लिए आरक्षित किया गया है। एमएसएमई को रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में लाने और उसके जरिये रक्षा उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही रक्षा निर्यात बाजार में योगदान के लिए एमएसएमई को बढ़ावा देने की योजना के तहत उद्योग संघों को देश के विभिन्न हिस्सों में सेमिनार आयोजित करने के लिए धन दिया जाता है। 

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