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भारतीय स्वभाव से हिन्दू है, इसका पूजा पद्धिति से कोई लेना देना नहीं

उज्ज्वल दुनिया/नई दिल्ली, 09 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के बारे में कहा कि संघ अपनी ओर से कोई आंदोलन शुरू करना संघ के एजेंडे में नहीं रहता। उन्होंने कहा कि इन धर्मस्थानों के बारे में हिन्दू समाज क्या फैसला करता है, यह भविष्य की बात है। संघ प्रमुख ने एक साप्ताहिक पत्रिका विवेक को दिए साक्षात्कार में साफ तौर पर कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन भी  संघ ने शुरू नहीं किया था। 

हिंदू एक स्वभाव है,  इसका पूजा पद्धति से लेना-देना नहीं 

डॉ भागवत ने कहा कि भारत का एक स्वभाव है और इस स्वभाव को ही हम हिंदू कहते हैं और इसका पूजा पद्धति से कोई लेना देना नहीं है। साथ ही राष्ट्रीयता का भी पूजा पद्धति से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर भारतीय मुसलमान हिंदू है वह अरबी या तुर्की नहीं है। हम भारतीय हैं और इसका हमें विचार करना पड़ेगा।

समाज में कट्टरता के वातावरण का नुकसान हम सबको उठाना पड़ेगा 

सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा है कि समय-समय पर कट्टरता का वातावरण पैदा होता है जिससे समाज को भटकना नहीं चाहिए भारत एक सनातन राष्ट्र है और हमारी पूजा पद्धति कोई भी हो हम इसका अंग हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू और मुसलमान इतिहास के हर मोड़ पर एक साथ खड़े थे। भारत एवं भारत की संस्कृति के प्रति, व्यक्ति और पूर्वजों के प्रति गौरव के चलते सभी भेद मिट जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों का निजी स्वार्थ होता है वह बार-बार अलगाव और कट्टरता फैलाने की कोशिश करते हैं। वास्तव में भारत ही एकमात्र देश है जहां सब लोग बहुत समय से एक साथ रहते हैं।

राम के जीवन का संस्कार अपनाना है, सिर्फ उनके नाम पर नारा नहीं लगाना है 

राम मंदिर निर्माण संबंधी प्रश्न के उत्तर में मोहन भागवत ने कहा कि राम का मंदिर केवल पूजा पाठ के लिए नहीं बन रहा है। हमारे राम का मंदिर तोड़कर हमें अपमानित किया गया। हमारे जीवन मूल्यों और आचरण को नकारा गया। अब हमें भव्य मंदिर बनाकर उन्हीं मूल्यों और आचरण को दोबारा जीवित करना है। राम मंदिर का निर्माण होने तक प्रत्येक व्यक्ति के अंदर अयोध्या का निर्माण होना चाहिए जहां उनके आदर्श राम विराजित हैं।

चीनी चुनौती का जवाब है आत्मनिर्भरता

चीन को वर्तमान की चुनौती बताते हुए भागवत ने कहा कि समाज जब भी आत्मनिर्भर होता है, तो वह अपनी आंतरिक शक्ति के कारण होता है। उसे लगता है कि चुनौतियां हमारे देश को झुका नहीं सकती। वर्तमान में देश में लोगों के अंदर ऐसी भावना है और इसके साथ दुनिया के अन्य देशों में जारी श्रेष्ठतम पद्धतियों अपनाकर हमें देश को आत्मनिरर्भता की ओर ले जाना चाहिए।

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