उज्ज्वल दुनिया/रांची । राजधानी रांची के रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा के पंडाल को प्रशासन ने काले कपड़े से ढकवा दिया । इसे लेकर राजधानी रांची की सियासत गरमा गई है । तमाम हिंदू संगठनों ने इसे प्रशासन की तानाशाही करार दिया है । रांची के विधायक सीपी सिंह ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि कल राँची रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा पंडाल का उद्घाटन विधिवत रुप से हम सभी ने मिलकर किया था और आज ही हेमंत सोरेन की हिन्दू विरोधी सरकार ने प्रशासन द्वारा वहाँ काले कपड़ों से पंडाल को ढकने का घृणित कार्य किया है। हिन्दू आस्था से खिलवाड़ करना देश विरोधी ताकतों का स्टेटस सिंबल हो गया है और अब तो झारखंड सरकार को भी इसे लगातार अंजाम देने में कोई गुर्रेज नहीं। इतिहास गवाह है जिसने भी हिन्दू धर्म को चोट पँहुचाया है वह मिट्टी में मिल गया है।
आदिवासियों की हितैषी सरकार को अब सोहराय कलाकृतियों से भी परेशानी
सीपी सिंह ने कहा कि आदिवासी हितैषी का ढिंढोरा पिटने वाली कांग्रेस-झामुमो की ठगबंधन सरकार को आदिवासी सभ्यता व झारखण्डी संस्कृति के प्रतिक ‘सोहराय कलाकृतियों’ से भी दिक्कत है, तभी तो इन्हें भी काले पर्दों से ढककर सरकार को कोई शर्म नहीं आ रही। इस सरकार का पतन जल्द होगा। अब हिन्दू विरोधी झामुमो-कांग्रेस की ठगबंधन सरकार से मेरे कुछ सवाल हैं। पहले तो आपकी सरकार ने जोर लगा ही दिया था की राज्य में दुर्गा पूजा न मनाया जा सके, लेकिन माँ दुर्गा के करोड़ों भक्तों के डर से आपने दुर्गा पूजा से संबंधित गाइडलाइंस जारी किए, और गाइडलाइंस भी ऐसे जिसे पढ़कर कोई भी माँ का अनन्य भक्त खुश नहीं होगा।
माँ के दर्शन करने से किसे कोरोना होगा?
सीपी सिंह ने कहा कि गाइडलाइंस के हिसाब से माँ की प्रतिमा 4 फीट से ज्यादा नहीं रहनी चाहिए। तो क्या सरकार यह तर्क दे रही की 7-8 फीट की प्रतिमा से कोरोना फैलेगा? माँ को भोग नहीं लगाना है और न ही प्रसाद बाँटना है। पूरे लॉकडाउन में समाज के सभी वर्ग के लोगों ने यथासंभव मदद जरुरतमंदों के लिए किया। किसी ने सूखा राशन तो किसी ने पकाया हुआ भोजन बाँटा, क्या इस वजह से कोरोना संक्रमण बढ़ गया? क्या माँ को भोग लगाए हुए प्रसाद से बिमारी हो जाएगी? माँ की प्रतिमा को चारो ओर से ढँक कर पूजा करना है। क्या प्रतिमा के दर्शन मात्र से कोरोना हो जाएगा?
बार-बार सिर्फ हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ क्यों?
आखिर ऐसी क्या वजह है की झामुमो व कांग्रेस पार्टी हमेशा हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों की भावनाओं से खिलवाड़ करती है। कुछ ही महीने पहले ईद की बाजारें सजी, तब क्यूँ नहीं ऐसे गाइडलाइन जारी किए गए? तब क्या कोरोना का प्रभाव नहीं था? सरकारी गाइडलाइंस के हिसाब से अंत्येष्टि में केवल 20 लोग सम्मिलित हो सकते हैं तो फिर मंत्रीमंडल के सदस्य की अंत्येष्टि में 10-15 हजार लोगों की भीड़ कैसे हो जाती है और सरकार क्यूँ नहीं यहां लॉ एंड ऑर्डर कायम कर पाती है? क्या इतने सारे लोगों के जमा होने से कोरोना संक्रमण नहीं हुआ होगा? यहाँ सरकार का कानून लागू नहीं होता है?