Saturday 27th \2024f July 2024 05:24:00 AM
HomeNationalटीसी और मार्कशीट के बगैर दो छात्रों का दाखिला करने का निर्देश

टीसी और मार्कशीट के बगैर दो छात्रों का दाखिला करने का निर्देश

नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में नई दिल्ली महानगरपालिका को दो छात्रों का दाखिला बिना ट्रांसफर सर्टिफिकेट और मार्कशीट के करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस जयंत नाथ ने नई दिल्ली महानगरपालिका को उन दो बच्चों का दाखिला बिना ट्रांसफर सर्टिफिकेट के करने का निर्देश दिया जिनका रामजस स्कूल ने फीस जमा नहीं कर पाने की वजह से ट्रांसफर सर्टिफिकेट देने स इनकार कर दिया था।

दिल्ली के रामजस स्कूल के आनंद पर्वत ब्रांच में पढ़नेवाले दो छात्रों ने याचिका दायर किया था। इन छात्रों के अभिभावक दलीप कुमार की ओर से बकाया फीस जमा नहीं करने पर रामजस स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी नहीं कर रही थी। दलीप कुमार की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा है कि बकाया फीस की वजह से कोई स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट रोक नहीं सकता है। उन्होंने कहा था कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दोनों छात्रों को दाखिले के लिए ट्रासंफर सर्टिफिकेट की जरुरत होगी। रामजस स्कूल की ओर से दोनों बच्चों का ट्रांसफर सर्टिफिकेट रोकने का फैसला संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन है।

एक छात्र ने दसवीं कक्षा पास की है जबकि दूसरे ने पांचवी पास किया है। दोनों बच्चे रामजस स्कूल में नर्सरी स्कूल से पढ़ रहे थे। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता को एकेडमिक सत्र 2019-20 में अपने व्यवसाय में काफी घाटा हुआ। फिहलाल वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। अभी उनकी हालत ऐसी नहीं है कि वे स्कूल की फीस दे सकें। इसी वजह से याचिकाकर्ता दोनों बच्चों की आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली के सरकारी स्कूल में दाखिला कराना चाहते हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूल में दाखिले के लिए याचिकाकर्ता ने रामजस स्कूल से ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी करने की मांग की थी।

रामजस स्कूल ने पिछले 2 सितंबर को दोनों छात्रों की बकाया फीस 76,300 रुपये और एक लाख एक हजार तीन सौ रुपये जमा करने का नोटिस भेजा था। याचिकाकर्ता ने स्कूल से ट्रांसफर सर्टिफिकेट और मार्कशीट जारी करने की मांग की थी लेकिन स्कूल ने बकाया फीस चुकाए बगैर ट्रांसफर सर्टिफिकेट और मार्कशीट देने से इनकार कर दिया। उसके बाद याचिकाकर्ता ने दिल्ली के शिक्षा निदेशालय से भी अपनी बात रखी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments