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झारखंड विधानसभा में लैंड म्यूटेशन बिल और सहायक पुलिस कर्मियों पर लाठीचार्ज के मुद्दे पर हंगामा

उज्ज्वल दुनिया/रांची । झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सोमवार को भाजपा के विधायकों ने सदन के बाहर और अंदर हंगामा किया। भाजपा विधायक सदन की कार्यवाही शुरू होते ही लैंड म्यूटेशन बिल, सहायक पुलिस कर्मियों पर लाठी चार्ज, भूखल घासी और उसके परिवार के दो अन्य सदस्यों की भूख से मौत आदि मुद्दा उठाकर वेल में पहुंच गए और सरकार से जवाब की मांग को लेकर हंगामा करने लगे।

सीएम हेमंत सोरेन के बयान के बाद भी संतुष्ट नहीं हुआ विपक्ष 

 मुख्यमंत्री और संसदीय कार्यमंत्री के जवाब से भी विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ। विपक्ष के विधायक लैंड म्यूटेशन बिल निरस्त करने और संसदीय कार्यमंत्री के इस्तीफे की भी मांग कर रहे थे। प्रश्नकाल शुरू होने से पहले विपक्ष के हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने भाजपा विधायक के उपरोक्त मांगों से जुड़े तीन कार्य स्थगन प्रस्तावों को पढ़ा, लेकिन इसे अमान्य  करते हुए प्रश्नकाल को अधिक जरूरी बताया और बंधु तिर्की को अपना प्रश्न रखने को कहा। लेकन भाजपा विधायक वेल में आ गए और हंगामा करने लगे। स्पीकर ने उन्हें चेताया कि कोरोना काल में आयोजित इस सत्र में सामाजिक दूरी का अनुपालन जरूरी है। एक जगह एकत्रित होने से समस्या उत्पन्न होगी। 

दूसरी ओर विपक्ष की तरफ से सरकार पर जुबानी हमला जारी रहा। भाजपा विधायक अनंत ओझा, अमर बाउरी, भानु प्रताप शाही, विरंची नारायण, रणधीर सिंह एवं अन्य सरकार पर सहायक पुलिस कर्मियों पर लाठी चलाने के कारण लाठी-डंडों की सरकार, दलित विरोधी सरकार कह कर हंगामा करने लगे। उनसे स्पीकर ने दूसरी पाली में अपने वक्तव्य के दौरान बातें रखने के लिए कहा, लेकिन विपक्ष हमलावार बना रहा। इसके बाद स्पीकर के कहने पर विपक्ष वेल से लौटा। भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि लैंड म्यूटेशन बिल, सहायक पुलिस कर्मियों की मांगों और भूखल घासी के मामले में सरकार अपना रुख स्पष्ट करे। 

गलतियों के कारण लैंड म्यूटेशन बिल नहीं हुआ पेश : संसदीय कार्यमंत्री

संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि कैबिनेट से स्वीकृत होने के बाद मालूम हुआ कि लैंड म्यूटेशन बिल में गलतियां हैं। इस कारण खुद मुख्यमंत्री के साथ अन्य सभी मंत्री एकमत हुए और बिल विधानसभा में पेश नहीं किया गया। जो बिल पेश ही नहीं हुआ है उस पर सरकार को सफाई देने की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में भी सीएनटी-एसपीटी, भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन की बात हुई थी। 

सरकार चाहे तो नियमावली बदल दे, रोका किसने है ?

उन्होंने सहायक पुलिस कर्मियों के मुद्दे पर कहा कि इनकी बहाली पिछली सरकार ने नियमावली तय करके की थी। हमारी सरकार इनकी जायज मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है। बीते शुक्रवार को होने जा रही वार्ता से पहले पुलिस बल को लाठी चार्ज करना पड़ा। लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी बात कहने का हक सभी को है, लेकिन मोरहाबादी में पत्थरबाजी हुई। इसके बाद पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा। सरकार आने वाले दिनों में सहायक पुलिस कर्मियों के विषय में अपनी बातें पूरी करके दिखाएगी। 

विपक्ष का अंदेशा, सरकार अध्यादेश ला सकती है

उनकी बातें पूरी होते ही विपक्ष ने एक बार फिर हंगामा तेज कर दिया और वेल में पहुंच गए। भाजपा ने कैबिनेट में पास हुए बिल को गलत बताये जाने को मुद्दा बनाया और कैबिनेट से स्वीकृत बिल को निरस्त करने की मांग करने लगे। आशंका जताते हुए कहा कि सरकार बिल को अध्यादेश के रूप में लागू कर सकती है। इसके बाद विपक्ष संसदीय कार्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करने लगा।  इस बीच 11:34 बजे मुख्यमंत्री विधानसभा पहुंचे और उन्होंने सहायक पुलिस कर्मियों पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए स्पीकर से अपनी बात कहने की इजाजत मांगी।

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