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जिले में शिक्षा विभाग के मिलीभगत से ड्रेस व स्टेशनरी किट सप्लाई में हो रहा पैसों का बंदरबांट

खबर छपने पर भी सुनवाई नहीं 

600 रुपये प्रति बच्चा ड्रेस में सरकार की तरफ से दिया जा रहा है, सप्लायर व शिक्षा विभाग की मिलीभगत से बच्चों को मिल रहा घटिया ड्रेस व किट 

प्रति कॉपी दर 20 रुपये निर्धारित के बाद भी बच्चों को कम कीमत वाली कॉपी सप्लाई की जा रही है, राशन व पैसों के गबन की खबर दो माह पूर्व उज्ज्वल दुनिया अखबार में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी

नितेश जायसवाल /  उज्जवल दुनिया संवाददाता
लातेहार ।  जिले के कई प्रखण्डों में शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के मिली भगत से स्कूल किट सप्लाई में हो रही है पैसों की बंदरबांट। बताते चलें कि इन दिनों करोना के मद्देनजर सभी विद्यालय मार्च माह से ही बंद है। आरोप है कि इन छुट्टियों के दिनो में भी लातेहार जिले के हेरहंज प्रखण्ड में ठीकेदारों व बी आर सी निरंजन सिंह की मिलीभगत से ड्रेस व स्टेशनरी किट का सप्लाई विद्यालयों में किया जा रहा है। इसमे विद्यालय प्रबंधन समिति, प्रधानाध्यापक व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सप्लायर के द्वारा बंधी बंधाई रकम मिलती है। 

उपर तक पहुंचता है पैसा, मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा

सरकार सभी विद्यालयों में प्रति बच्चा छः सौ रुपये ड्रेस किट के लिये देती है लेकिन बिचौलियों के द्वारा सभी विद्यालयों में प्रति बच्चा लगभग 400 या उससे भी सबसे कम लागत की घटिया ड्रेस देती है और बाकी बच्चे 200 रुपये को सभी लोगों में बांटा जाता है। जब हमने सप्लायर से कहा कि इसकी शिकायत ऊपर के अधिकारियों से करेंगे तो उसका जवाब था कि ऊपर तक कमीशन देते हैं । हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा । 

ये सच है कि इस बात की जानकारी उच्च पदाधिकारियों को भी है लेकिन अब तक इनलोगों के विरुद्ध किसी ने कोई ठोस कदम नही उठाया। इससे इस बात का संकेत देती है कि इसका सेटलमेंट उच्च अधिकारियों तक भी है। वहीं स्टेशनरी सप्लाई में कक्षा वार पैसे निर्धारित किये गए हैं । सामान खरीदने के लिये जिसमे करोना कॉपी की प्रति कॉपी की कीमत 20 रुपये निर्धारित है। वही स्टॉमन बॉक्स के लिये लगभग 30 रुपये निर्धारित है लेकिन बिचौलियों के द्वारा मात्र 10 से 12 रुपये की कॉपी व लगभग 20 रुपये के स्टॉमन बॉक्स  सप्लाई की जा रही है। 

उज्ज्वल दुनिया में पहले भी छपी थी खबर

बताते चलें कि आज करीब दो माह पूर्व उज्ज्वल दुनिया अखबार ने आज से सात माह पूर्व सुखाड़ काल मे सरकार के निर्देश पर सभी विद्यालयों में बच्चों को 20 दिनों का चावल व लगभग 100 रुपये नगद पैसे व छात्रवृत्ति देने थे।जिसमे शिक्षको व पदाधिकारियों की मिलीभगत से पैसों का गमन के मामला भी प्रमुखता से छापी गयी थी। लेकिन दो माह बितने के बावजूद भी आज तक कोई ठोस कदम नही उठाना व जांच करना इस बात का सीधा संकेत देती है कि सभी के मिलीभगत से यह खेल खेला जाता है।

हमें इस बारे में जानकारी नहीं- बीईओ

हेरहंज प्रखण्ड के बीईओ हाकिम प्रमाणिक से जब हमने इस खुले भ्रष्टाचार के बारे में पूछा तो उनका कहना था – मेरे पास किट का स्टिमिट नही है।मुझे इसकी जानकारी भी नही है कि विद्यालय बन्द के द्वरान कौन स्कूली किट का सप्लाई दे रहा है।जाँच करने के बाद ही कुछ कह पाएँगे।बताते चलें कि पूर्व में भी इनके द्वारा यही कहा जाता रहा हैं लेकिन अबतक कुछ नहीं हुआ है।

कांग्रेस युवा मोर्चा अध्यक्ष संदीप कुमार(डब्लू)ने बताया कि हेरहंज प्रखण्ड के सीआरसी निरंजन कुमार से हमने पूछा तो उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम हैं अगर इसके बारे में जानकारी चाहिए तो बीरेंद्र दुबे से मुलाकात कर लीजिये।

सरकार के  द्वारा सभी विद्यालयों के प्राचार्य को सख्त निर्देश जारी किया गया था कि सभी बच्चों का खाता बैंक में खोलवाया जाय।जिससे उनको मिलने वाला लाभ उसके खाते में जा सके।लेकिन खाता खुलवाने के बाद भी पैसा खाता में न डालकर प्रबन्धन समिति के खाते में डाला जाता है।जिसे सभी के मिलीभगत से सामान खरीदने के नाम पर लूटा जाता है।

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