नितेश जायसवाल/उज्ज्वल दुनिया संवाददाता/लातेहार । जिले में मजदूरों को रोजगार देने का संकल्प कागजों में सिमटता जा रहा है। करोना काल में प्रवासी मजदूर काफी मुसीबतों का सामना कर घर लौटे हैं। घर लौटने के बाद मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय हो गई उन्हें अबतक रोजगार प्राप्त नहीं हुआ है । ऐसी स्थिति में मजदूर मजबूर होकर काम की तलाश में बाहर का रुख कर रहे हैं।
अब जिले के कई प्रखंडों से मजदूरों का पलायन जारी है।
लातेहार के हेरहंज चंदवा ,बालूमाथ,मनिका,गारू, महुआटांड समेत कई प्रखंडों से मजदूर बेबस होकर दूसरे राज्यों में काम पर जाने को मजबूर हैं। प्रतिदिन बिचौलियों व ठेकेदारों के द्वारा बोलेरो,बस,ट्रेन के द्वारा लोगों को दूसरे राज्य ले जाया जा रहा हैं। कुछ मजदूरों को तो बिना निबन्धन या बिना रजिस्ट्रेशन कराए ही ठेकेदारों के द्वारा ले जाया जा रहा हैं। हेरहंज प्रखंड के सभी पंचायतों से मजदूरों को ले जाया जा रहा हैं । वहां के दर्जनों मजदूरों ने बताया कि वे काम करने को लेकर बेंगलुरु, अहमदाबाद को जा रहे हैं। उन्हें एडवांस के तौर पर 10 से 12 हजार रुपए प्राप्त हुए हैं। ठेकेदार ने उन्हें काम के बदले प्रतिदिन तीन सौ रुपए देने का वादा किया है। वहीं कहीं कहीं तो दुगना मजदूर के नाम पर भी मजदूरों को ले जाया जा रहा है।
इधर जिले के लगभग सभी प्रखंड से भी मजदूरों का पलायन प्रतिदिन कई छोटी बड़ी गाड़ियों से बाहर जाने का सिलसिला जारी है। इधर विभाग की माने तो जिले में मनरेगा के अलावे कई योजनाएं चल रही है जिसमें मजदूरों को काम मिला है। लेकिन लगता हैं कि सभी मजदूरों का सिर्फ कागज पर नाम तक ही सीमित रह गया हैं । जिला प्रशासन व प्रखण्ड प्रशासन मजदूर पलायन को रोक पाने में असफल साबित हो रहे है। जिले में मनरेगा योजनाएं सिर्फ कागज में ही पूरा होती हैं जिसके कारण लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं।हर गांव में पांच योजनायें संचालित कर लोगों को काम मुहैया करवाना था। लेकिन बहुत ऐसे गांव हैं जहाँ एक भी योजना को अब तक संचालित नहीं किया गया हैं।