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गुजरात में फंसी 30 झारखंडी लड़कियां हुई मुक्त

रांची: झारखंड से सिलाई काम सिखाने के नाम पर बहला-फुसलाकर लड़कियों को मानव तस्करों के द्वारा गुजरात के सूरत स्थित पलसाणा क्षेत्र की झींगा फैक्ट्री में काम कराने का मामला प्रकाश में आया है। सूरत पुलिस ने नवसारी पुलिस के साथ मिलकर मानव तस्करी का पर्दाफाश कर पलसाणा क्षेत्र की झिंगा फैक्ट्री से 6 नाबालिग समेत 30 लड़कियों को मुक्त कराया। मानव तस्करी के मामले में मंजूबेन नामक महिला को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

खबरों के अनुसार पुलिस को सूचना मिली थी कि सूरत के पलसाणा के पास माखीनगा गांव की झिंगा फैक्ट्री में झारखंड से लड़कियों को लाकर काम कराया जिसमें नाबालिग भी शामिल हैं। सूचना के आधार पर नवसारी और सूरत पुलिस ने फैक्ट्री में छापा मारकर 6 नाबालिग 24 वयस्क युवतियों समेत कुल 30 लड़कियों को मुक्त करवाया और सूरत महिला सुरक्षा केन्द्र में भेज दिया।
पुलिसिया जांच में खुलासा हुआ कि एक महीने पहले मंजूबेन नामक महिला झारखंड से लड़कियों को सिलाई काम सिखाने के लिए पलसाणा के माखीनगा गांव की झिंगा फैक्ट्री में लाई थी।
रूपल सोलंकी (डीवायएसपी-बारडोली) ने इस मामले की जानकारी देते हुए कहा कि पलसाणा में लायी गयी 30 युवतियों को ह्युमन ट्राफिकिंग के तहत लाये जाने की शिकायत झारखंड के पुलिस थाने में दर्ज हुई।

बताया जाता है कि सिलाई काम सिखाने के बहाने इन सभी युवतियों को सूरत के पलसाणा पुलिस स्टेशन क्षेत्र में चल रहे माखिंगा झींगा फैक्टरी में काम करने के लिए ले आए।
झारखंड के रांची पुलिस थाने में मंजुदेवी नामक महिला के खिलाफ इन युवतियों को ले जाने की शिकायत दर्ज हुयी होने की सूचना गुजरात स्टेट कंट्रोल रुम को मिली थी। स्टेट कंट्रोल की सूचना के आधार पर सूरत और नवसारी पुलिस ने झींगा फेकटरी में छापा मारकर सभी 30 युवतियों को छुड़ाकर नारी सुरक्षा गृह सूरत में रखा गया है। इन युवतियों के साथ धोखाधड़ी करनेवाली मंजुबेन को गिरफ्तार किया गया।

खबरों के अनुसार वहां जाने वाली कई बच्चियां बीमार भी हो गई थीं । मामले की जानकारी स्थानीय मीडिया के माध्यम से मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष आरती कुजूर ने पहल करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रांची के सांसद संजय सेठ और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो को पत्र लिखकर त्वरित कार्रवाई करने एवं लड़कियों को बरामद करके वापसलाने का आग्रह किया था। इसी आलोक में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग,प्रशासन के साथ कुछ स्वयंसेवी संस्था एवं मीडिया के सहयोग से सभी लड़कियों कोबरामद किया गया। बरामद लड़कियों में छह नाबालिक है। अनगड़ा की तीस लड़कियांसूरत के पास के एक झींगा फैक्ट्री में काम कर रही थीं। उनकी बरामदगी के बाद अब यहजानना शेष है कि अनगड़ा की इन तीस लड़कियों को विभिन्न गांवों से एकत्रित कर कौन उन्हें यहां से कौन ले गया था और दिल्ली जाने के नाम पर वे गुजरात कैसे चली गयी थीं। कोरोना काल में इस किस्म की यात्रा कोई आसान काम भी नहीं है।

अनगड़ा की तीस लड़कियों का मामला आरती कुजूर ने उठाया था लड़कियों की सकुशल बरामदगी के बाद आरती कुजूर ने राज्य सरकार स्वयंसेवी संस्था मीडिया व सांसद संजय सेठ का आभार जताया है। उन्होंने राज्य सरकार से बहला-फुसलाकर बाहर ले जाने वाले दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। साथ हीसाथ इन सुदूरवर्ती क्षेत्रों में शिविर लगाकर जागरूकता अभियान चलाने मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के साथ प्रशिक्षण देने की मांग भी उठाई है ताकि ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां रोजगार की तलाश में मानव तस्करों के चंगुल से बची रहें।

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