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कोरोना मरीजों के लिए 80 फीसदी आईसीयू बेड मामले पर सुनवाई टली

नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्राइवेट अस्पतालों को अपने आईसीयू में 80 फीसदी बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के आदेश पर रोक के सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई टाल दी है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस मामले पर अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।

कोर्ट ने पिछले 28 सितंबर को केंद्र सरकार और एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा था कि दिल्ली के अस्पतालों के मात्र दो फीसदी अस्पतालों को अपने आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने को कहा गया है। कोरोना के मामले शतरंज के खेल की तरह हो गए हैं, हर घंटे हमें तुरंत फैसले करने होते हैं। उन्होंने कहा था कि कोरोना के मामले असाधारण तरीके से बढ़ रहे हैं । एक मॉडरेट रोगी को गंभीर रोगी में बदलने में ज्यादा समय नहीं लगता है।

संजय जैन ने कहा था कि इस समय बेड बढ़ाने की जरूरत है। अगर अस्पताल अपनी क्षमता का फीसदी बढ़ा सकते हैं तो कोरोना के लिए आरक्षित बेड भी बढ़ाना होगा क्योंकि मरीज भी बढ़ रहे हैं। तब कोर्ट ने कहा था कि सिंगल बेंच की चिंता कोरोना के रोगियों के लिए आईसीयू बेड आरक्षित करने को लेकर है, दूसरी बीमारियों के रोगों के लिए नहीं। कोर्ट ने पूछा था कि क्या दिल्ली सरकार के आदेश में नर्सिंग होम भी शामिल हैं जिनके पास आईसीयू भी नहीं है। तब जैन ने कहा था कि दिल्ली के 31 अस्पतालों ने याचिका दायर की है। उन्होंने अपनी समस्या को जनहित का कहकर याचिका दायर की है। दिल्ली के सभी अस्पतालों में ये आरक्षण नहीं है, कुछ खास अस्पतालों के लिए ही है। उन्होंने कोर्ट से सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया।

याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा है कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। सिंगल बेंच ने 22 सितंबर के अपने आदेश में दिल्ली सरकार के कोरोना से निपटने के लिए किए गए उपायों पर कोई गौर नहीं किया। सिंगल बेंच के फैसले से निजी नर्सिंग होम और अस्पतालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। याचिका में कहा गया है कि सिंगल बेंच का फैसला मनमाना और गैरकानूनी है।
जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने पिछले 22 सितंबर को प्राइवेट अस्पतालों को अपने आईसीयू में 80 फीसदी बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के आदेश को संविधान की धारा 21 के खिलाफ बताया था। सिंगल बेंच ने कहा था कि बीमारी खुद कभी आरक्षण का आधार नहीं बन सकती है। सिंगल बेंच के समक्ष याचिका एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर ने दायर किया था। याचिका में दिल्ली सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। सिंगल बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के इस आदेश से कोरोना के अलावा दूसरे रोगों से पीड़ित मरीजों को इलाज में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

सिंगल बेंच के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का ये फैसला बिना पूर्व विचार-विमर्श के लिया गया है। फैसला लेने के पहले वर्तमान में रोगियों की जरुरतों का ध्यान नहीं रखा गया है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का फैसला मनमाना और गैरकानूनी है। याचिका में कहा गया है कि निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए 40 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित करने की मांग की है। 

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