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किसानों के लिए ‘काला कानून’ है मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश: कांग्रेस

उज्ज्वल दुनिया /रांची: मोदी सरकार द्वारा संसद के मॉनसून सत्र में प्रख्यापित किये गए 11 अध्यादेशों में चार अध्यादेश किसान विरोधी हैं। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ राकेश किरण महतो ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा लाये जा रहे ये अध्यादेश किसानों के हित में नहीं हैं। इसीलिए कांग्रेस पार्टी इनका पुरजोर विरोध करेगी। 

कॉर्पोरेट फारर्मिंग से निजी कंपनियों को फायदा 

ज्ञात हो की इन अध्यादेशों का किसान संगठन भी विरोध कर रहे हैं। देश में जितने भी कृषि आधारित राज्य हैं जैसे – पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि उनके राजस्व पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा। इन अध्यादेशों के माध्यम से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और कॉरपोरेट फार्मिंग का जो प्रावधान किया जा रहा है उनसे सिर्फ निजी कंपनियों को फायदा हो सकता है। पिछले 50 सालों में हमारे देश में जो एमएसपी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की जो प्रणाली थी उसको खत्म किया जा रहा है। पब्लिक प्रोक्योरमेंट और एफसीआई जो  सार्वजनिक वितरण के लिए अनाज खरीदती है उसको भी खत्म किया जा रहा है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह है कि केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाने से पूर्व राज्य सरकारों से विचार- विमर्श करना भी मुनासिब नहीं समझा, जबकि संविधान के अनुसार कृषि  राज्यों की सूची में आती है।

अपने ही खेतों में ठेके पर काम करेंगे किसान

अब यह सरकार खेती हड़पने के लिए तीन काले कानून लेकर आई है। खेत-खलिहान को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का घिनौना षड्यंत्र कर रही है भाजपा। मोदी सरकार कृषि को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने का षड्यंत्र रच रही है। यह खेत-खलिहान और अनाज-मंडियों पर अध्यादेशों के माध्यम से क्रूर प्रहार किया गया है। यह काले कानून देश में करोड़ों खेती और करोड़ों आढ़तियों को खत्म करने की साजिश के दस्तावेज हैं। खेती और किसानी को मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का सोचा-समझा षड्यंत्र है। अब यह साफ है कि मोदी सरकार अपने पूंजीपति मित्रों के जरिए ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ बना रही है जो अन्नदाता किसान व मजदूर की मेहनत को मुट्ठी भर पूंजीपतियों की जंजीरों में जकड़ना चाहती है।

 50 फीसदी मुनाफे का सपना दिखाकर किसानों को  कंपनियों का गुलाम बनाना चाहती है मोदी सरकार 

किसान को लागत के अतिरिक्त 50 फीसदी मुनाफा का सपना दिखाकर सत्ता में आए मोदी जी ने तीनों अध्यादेश के माध्यम से देश में खेती के खात्मे का पूरा उपन्यास ही लिख दिया है। अन्नदाता किसान के वोट से जन्मी मोदी सरकार आज किसानों के लिए भस्मासुर साबित हो रही है। इसीलिए हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आदि सभी राज्यों में इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध करेगी और ‘हरित क्रांति’ को हराने की भाजपा की साजिश को कभी कामयाब नहीं होने देगी।

अब सभी सहकारी बैंक भी आरबीआई के अधीन

भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा इसी सत्र में एक और अध्यादेश लाया गया है बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में संशोधन करने का,वह भी त्रुटिपूर्ण है। इस बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत सारे सहकारी बैंक (कोऑपरेटिव बैंक) जिस पर आज राज्य सरकारों का रेगुलेशन चलता है, वे सारे बैंकों का रेगुलेशन अब आरबीआई करेगा। और जो कोऑपरेटिव बैंक की सदस्यता है, उसमें भी बदलाव लाया जा रहा है ताकि जो किसान नहीं हैं, जो कोऑपरेटिव के मेंबर नहीं है, उनको भी इन बैंकों में शेयर मिले। यह संविधान के खिलाफ है और राज्यों के खिलाफ है।

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