उज्ज्वल दुनिया
रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह खाद्य आपूर्ति एवं वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कांग्रेस की श्रृंखला धरोहर की उन्नीसवीं वीडियो को जारी करते हुए कहा कि आज से ठीक 100 साल पहले आज ही की तरह देश में विकट समस्या थी, महंगाई चरम पर थी, जनता पर अनावश्यक टैक्स का बोझ लाद दिया गया था, महामारी से हजारों लोगों की जानें चली गई थी, अहंकारी ब्रिटिश हुकूमत रोलेट कानून जैसे हथकंडो से देश की आवाज दबा रही थी । 1919 के मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड जैसे सुधारों के नाम पर मताधिकार सीमित कर दिया गया ,प्रांतों की शक्तियां कम कर दी गई । कुल मिलाकर ब्रिटिश हुकूमत का मकसद जनता का शोषण करना था। इसी बीच फरवरी 1920 में गांधी ने पंजाब में ब्रिटिश कृत्यों की निंदा करते हुए जालियांवाला बाग नरसंहार के लिए ब्रिटिश हुकूमत को माफी मांगने के लिए कहा अन्यथा असहयोग आंदोलन की चेतावनी दे डाली । 31 अगस्त 1920 को आंदोलन शुरू होना तय हुआ लेकिन दुर्भाग्यवश 1 अगस्त को बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया । लिहाजा सितंबर 1920 में कोलकाता में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन बुलाया गया। इस अधिवेशन में स्वराज्य की स्थापना होने तक असहयोग कार्यक्रम चलाने की सहमति बनी।
कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम ने कहा कि असहयोग आंदोलन के संघर्ष की कहानी को करीब से समझने की आवश्यकता है । आज से 100 साल पहले महामारी,कर वसूली एवं ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा जनता के ऊपर अनैतिक निर्कांग्रेस पार्टी ने संघर्ष के जरिए लोगों को राहत पहुंचाने का प्रयास जारी है ।
झारखंड सरकार में कांग्रेस मंत्री बादल पत्रलेख एवं बन्ना गुप्ता ने कहा कि गांधी जी के नेतृत्व में चलाया जाने वाला यह प्रथम जन आंदोलन था । इसमें असहयोग और व्यास काल की नीति अपनाई गई। इस आंदोलन का व्यापक जनाधार था, शहरी क्षेत्र से मध्यम वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसानों और आदिवासियों का इसे व्यापक समर्थन मिला। इसमें श्रमिक वर्ग की भी भागीदारी थी इस प्रकार यह प्रथम जन आंदोलन बन गया।