ऋषिकेश । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के चिकित्सकों ने बिजनौर निवासी 24 वर्षीय युवती के शरीर से 41 किलोग्राम के ओवरियन कैंसर ट्यूमर का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर उसे जीवनदान प्रदान किया है।चिकित्सकों ने बताया कि ओवरियन कैंसर ट्यूमर का यह अब तक का सबसे बड़ा मामला है।एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने युवती की जान बचाने के लिए इस जटिल सर्जरी की सफलता पर टीम की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि संस्थान में कैंसर के निदान एवं चिकित्सा के लिए वर्ल्ड क्लास सुविधाएं उपलब्ध हैं। जल्द ही महिलाओं के कैंसर रोग का एक अलग से गाइनी ओंकोलॉजी डिवीजन स्थापित किया जा रहा है। एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि हम खासतौर पर कैंसर से ग्रस्त गरीब और जरुरतमंद महिला रोगियों के लिए विशेष सेवा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश में जल्द ही आईवीएफ (टेस्ट ट्यूब बेबी) की सुविधा शुरू हो जाएगी। स्त्री एवं प्रसूति विभाग में रोबोटिक और लेप्रोस्कोपी विधि के माध्यम से भी ऑपरेशन किए जा रहे हैं। साथ ही विभागीय चिकित्सकों की अलग-अलग टीमों द्वारा समय-समय उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के स्कूलों और सुदूरवर्ती गांवों में नियमिततौर पर चिकित्सा एवं परामर्श शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।एम्स के गाइनी विभाग के चिकित्सकों के अनुसार यह युवती बिजनौर से पेट में गांठ व दर्द की शिकायत लेकर एम्स ऋषिकेश आई थी। उसे 6 साल से शिकायत थी। उसके पेट में ट्यूमर छह साल से धीरे-धीरे बढ़ रहा था। पिछले एक साल से उसे चलने-फिरने और खड़े रहने में कठिनाई होने लगी थी। एम्स ऋषिकेश आने से पूर्व युवती उत्तर प्रदेश के कई सरकारी व निजी अस्पतालों के चक्कर लगा चुकी थी। मगर हर जगह से निराशा ही हाथ लगी व उसे इलाज संभव नहीं होने की बात कहकर रेफर कर दिया गया। यहां जांच के बाद उसके पेट में 50×40 सेंटीमीटर का ओवरियन ट्यूमर पाया गया। एम्स के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉ. कविता खोईवाल और उनकी टीम मेंबर डॉ. ओम कुमारी, डॉ. राहुल मोदी व डॉ. अंशु गुप्ता ने युवती का ऑपरेशन किया जिसमें 41 किलोग्राम का ओवरियन कैंसर ट्यूमर निकला। इसके अलावा इस ऑपरेशन में एनेस्थिसिया विभाग की टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसमें डा. प्रियंका गुप्ता और उनकी टीम के अन्य सदस्य शामिल रहे। संस्थान की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कविता खोईवाल ने बताया कि यह एक जटिल चुनौती थी, क्योंकि हमें एक महिला रोगी के शरीर से बड़े साइज के ट्यूमर को हटाना था, जो कि मरीज के शरीर के कुल वजन का लगभग 60 प्रतिशत था। उन्होंने बताया कि ओवरियन कैंसर ट्यूमर का यह अब तक का सबसे बड़ा मामला है। प्रसूति एवं स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. जया चतुर्वेदी ने बताया कि युवती की बीमारी से जुड़ा यह मामला विशेषकर दूरदराज के गांवों की महिलाओं की दुर्दशा को उजागर करता है, जिन्हें चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में समय पर आवश्यक उपचार नहीं मिल पाता है और वह इस तरह की अवस्था तक पहुंच जाती हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह के ओवरियन ट्यूमर के मामले काफी कम सामने आते हैं, साथ ही ट्यूमर के इतने बड़े आकार व इस स्थिति में आने से मरीज को बचा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।