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महाकुंभ 2025: कैलाशानंद की शिष्याएं हर्षा और पॉवेल बनीं चर्चा का केंद्र

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में 144 साल बाद हो रहा है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ में मकर संक्रांति के अमृत स्नान पर चार करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। इस धार्मिक आयोजन के भव्य प्रबंधन की जमकर तारीफ हो रही है, लेकिन महाकुंभ में दो खास शिष्याएं, हर्षा और लॉरेन पॉवेल जॉब्स, भी सुर्खियां बटोर रही हैं।

स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल का कल्पवास

  • भारत आगमन: एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुंभ में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के सानिध्य में कल्पवास कर रही हैं।
  • गंगा और हिंदू संस्कृति: उन्होंने गंगा स्नान, ध्यान और दान के जरिए हिंदू संस्कृति को समझने की कोशिश की है।
  • नाम और गोत्र: कैलाशानंद गिरि ने लॉरेन को “कमला” नाम और अपना गोत्र प्रदान किया है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि लॉरेन हिंदू धर्म नहीं अपना रही हैं, बल्कि इसे महसूस करने और जानने का प्रयास कर रही हैं।
  • सोशल मीडिया पर चर्चा: दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं में शामिल लॉरेन की महाकुंभ में उपस्थिति ने मीडिया और सोशल मीडिया पर खूब ध्यान आकर्षित किया।

भोपाल की हर्षा बनीं महाकुंभ की सेंसेशन

  • कौन हैं हर्षा? हर्षा रिछारिया भोपाल की एक इंफ्लुएंसर हैं, जो कुछ महीने पहले कैलाशानंद गिरि से जुड़ीं। हाल ही में हरिद्वार और ऋषिकेश में उन्हें देखा गया था।
  • महाकुंभ में पहचान: संतों के रथ पर उनकी उपस्थिति ने उन्हें मीडिया की नजरों में ला दिया। लोगों ने उन्हें संत समझ लिया, हालांकि उन्होंने बाद में स्पष्ट किया कि वह केवल कैलाशानंद गिरि की शिष्या हैं।
  • आर्टिफिशियल जटाओं का खुलासा: हर्षा ने स्वीकार किया कि उनके बालों में लगी जटाएं असली नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल हैं। संतों की असली जटाएं बनने में वर्षों का समय लगता है।
  • फॉलोअर्स में जबरदस्त इजाफा: महाकुंभ में चर्चा में आने के बाद हर्षा के इंस्टाग्राम फॉलोअर्स एक दिन में 9 लाख से बढ़कर 1.3 मिलियन हो गए।

अखाड़ा परिषद का दृष्टिकोण

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा, “शिष्य और संत में अंतर समझना चाहिए। शिष्य कोई भी हो सकता है, जरूरी नहीं कि भगवा वस्त्र पहनने वाला संत ही हो। गृहस्थी भी संत बन सकता है। महाकुंभ में आने वाले लोग विविध भूमिकाओं में हैं।”

निष्कर्ष

महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिकता और संस्कृति का संगम है, बल्कि इसमें दुनिया भर से आने वाले व्यक्तियों की अनोखी कहानियों का केंद्र भी है। हर्षा और लॉरेन पॉवेल जैसी हस्तियों ने महाकुंभ को एक नई चर्चा का विषय बना दिया है।

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