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झारखंडः मुखिया की सभी वित्तीय शख्तियां समाप्त, मनरेगा का भुगतान बीडीओ के हाथ में

झारखंड में ग्राम पंचायतों के सभी निवर्तमान मुखिया को झटका लग गया है । उनके हस्ताक्षर से पंचायतों के बैंक अकाउंट्स के संचालन पर रोक लग गयी है । 15वें वित्त आयोग और मनरेगा सहित अन्य योजनाओं में पेमेंट करने का अधिकार अब उनके पास नहीं रहा । सरकार ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को आगामी छह महीने के लिए एक्सटेंशन देने का निर्णय जरूर लिया है, लेकिन इससे संबंधित अधिसूचना अब तक जारी नहीं की गयी है । ऐसे में राज्य में प्रखंड कार्यालयों से इस आशय का आदेश जारी किया जा रहा है कि कार्यकाल पूरा होने की वजह से ग्राम पंचायतें स्वतः विघटित हो गयी हैं और इस वजह से ग्राम पंचायतों की कार्यकारी समितियों के प्रधान के माध्यम से सरकारी योजनाओं का भुगतान बंद कर दिया जाये।

पंचायत प्रतिनिधियों के साइन से अब एक पैसा नहीं निकलेगा
पंचायत प्रतिनिधियों के साइन से अब एक पैसा नहीं निकलेगा

पंचायतों में रुक गये काम

भुगतान रोकने के आदेश होने से पंचायतों में कामकाज ठप पड़ रहा है. मजदूरों से लेकर सामग्री मद में भी भुगतान रुक गया है. 15वें वित्त आयोग की 400 करोड़ से अधिक की योजनाओं का भी काम धीमा पड़ गया है. हालांकि, मुखिया यह मांग कर रहे हैं कि भुगतान का अधिकार बरकरार रखा जाये।

मनरेगा का भुगतान बीडीओ के हाथ में

मनरेगा के तहत भुगतान का अधिकार भी अब प्रखंड विकास पदाधिकारियों के हाथ में चला गया है. अब मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायत स्तर से योजना में खर्च के लिए फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ) का अनुमोदन संभव नहीं है. गिरिडीह सहित कई जिलों के उप विकास आयुक्तों द्वारा आदेश निकाल कर पंचायतों में मनरेगा से चल रही विभिन्न योजनाओं में किये जाने वाले व्यय का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम (इपीएफएमएस) के जरिये करने को कहा गया है. यह अधिकार बीडीओ के पास है।

राज्यपाल से अध्यादेश की मंजूरी,पर आदेश नहीं पहुंचा जिलों में

बता दें कि झारखंड में ग्राम पंचायतों की त्रिस्तरीय व्यवस्था को दूसरी बार छह महीने का विस्तार देने से जुड़े अध्यादेश को राज्यपाल से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इससे संबंधित आदेश जिलों और प्रखंडों में नहीं पहुंचा है. पंचायतों को मिले पहले एक्सटेंशन की अवधि सात जुलाई की अर्द्धरात्रि को ही समाप्त हो चुकी है. छह महीने के दूसरे एक्सटेंशन में पंचायतों की व्यवस्था अधिकारियों के माध्यम से चलेगी या ग्राम प्रधान की अध्यक्षता की कार्यकारी समितियों के जरिये, यह क्लीयर नहीं हुआ है. इधर,खाता संचालन पर रोक लग गयी है. पंचायतों के अकाउंट्स को नियत तिथि से अनरजिस्टर्ड किया जा रहा है. ग्राम पंचायतों के निवर्तमान प्रधान द्वारा अब फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ) अप्रूव नहीं किया जायेगा।

कोरोना के चलते समय पर चुनाव नहीं हुआ

झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर 2020 को ही समाप्त हो गया था. कोरोना के चलते उस वक्त चुनाव संपन्न नहीं हो सका. ऐसे में सरकार ने पंचायतों को पहले छह माह का अवधि विस्तार दिया और यह कहा कि अप्रैल- मई तक चुनाव करा लेंगे. इस बार भी कोरोना संक्रमण के कारण चुनाव नहीं हुआ है. हालांकि, निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारी कर रहा है परीसीमन का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन किसी भी हाल में दिसंबर के पहले चुनाव संभव नहीं लग रहा।।

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