प्रधान महालेखाकार ने सरकारी योजनाओं की ऑडिट रिपोर्ट में भारी अनियमितता उजागर किया है। उन्होंने पथ निर्माण विभाग में पथ प्रमंडल गोड्डा के अधीन पड़ने वाले 22.44 किलोमीटर पथ का निर्माण का ठेका लेने वाली कंपनी यूनिक कंस्ट्रक्शन सूरत का फर्जीवाड़ा उजागर किया है। उन्होंने बताया है कि इस कंपनी ने 51.62 करोड़ में निर्माण का कार्य लिया था। इस कंपनी ने इसके बदले 5.60 करोड़ रुपये का जो बैंक गारंटी दिया था, वह फर्जी था।
इतना ही नहीं, जिस बैंक के स्टांप पेपर पर बैंक गारंटी बना था, वह स्टांप पेपर फर्जी था, क्योंकि जिस सूरत स्थित देना बैंक की रस्ता शाखा से स्टांप पेपर निर्गत होने की जानकारी दी गई थी, वह बैंक ही अस्तित्व में नहीं था। कंस्ट्रक्शन कंपनी ने एक साल के भीतर ही निर्माण कार्य रोक दिया। फर्जी बैंक जमानत तथा फर्जी होने के संदेहास्पद एकरारनामा होने के आधार पर कार्य आवंटन होने के चलते 13.24 करोड़ के सरकारी धन का नुकसान हो चुका है।
यहां भी हुई अनियमितता
– हजारीबाग-कटकमसांडी-चतरा सड़क पर पथ निर्माण विभाग ने सड़क के एक हिस्से के चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण कार्य तथा उसी सड़क के डीपीआर तैयार करने की अविवेकपूर्ण स्वीकृति दी। इसके चलते अलकतरा बिछाने के कार्य पर 5.03 करोड़ का खर्च हुआ।
– कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग में दो पौधशालाओं के संचालन के लिए उनके निर्माण के चार साल के बाद भी पानी-बिजली की आपूर्ति नहीं हुई, जिससे 2.78 करोड़ रुपये का खर्च बेकार हो गया।
– सूकर प्रजनन नाभिक इकाई के लिए 1.59 करोड़ की लागत से निर्मित सूकर सेड दिसंबर 2014 से निष्क्रिय हो गए।
– जल संसाधन, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरा किए बगैर गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड स्थित चरकी पहाड़ी मध्यम सिंचाई योजना पर काम शुरू करने के कारण 1.30 करोड़ का व्यय निष्क्रिय हुआ तथा 3.93 करोड़ का काम रूका।
– झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड को उपयोगकर्ताओं से शुल्क वसूलने में विफलता के कारण 12.18 करोड़ का नुकसान हुआ।