पटना रेलवे स्टेशन से कंकरबाग जाने के दौरान मिलता है चिड़ैयाटांड पुल…उसी पुल के नीचे सुरेश पासवान अपनी रिक्शा लगाकर सुस्ता रहे हैं । अखबार में लालू यादव की खराब तबीयत और उन्हें दिल्ली शिफ्ट किए जाने की खबर को बड़े ध्यान से पढ़ रहे हैं । गहरी सांस लेकर अखबार मोड़कर रिक्शा की सीट पर रखते हुए बोले- “लालूजी को अब छोड़ देना चाहिए”
पास ही सिगरेट का आखिरी कश फेंककर पैर से कुचलते हुए कहा- “काहे, जो किए हैं उसी की सजा भुगत रहे हैं ” । यही पटना में रात को सड़क पर कोई निकलता था जी ? गुंडागर्दी, रंगदारी, नरसंहार के अलावा दिए क्या बिहार को ? जंगलराज का फल भोग रहे हैं । 20 गो बीमारी है, सड़-सड़ के मर रहा है….
इतना सुनते ही पास में दूसरे रिक्शे पर बैठा कन्हैया महतो (दूसरा रिक्शावाला) भड़क गया, “आप तो कहबे किजिएगा बाबू साहेब ? ”
वह बड़बड़ा रहा था, ” लालूजी जो कर दिए हैंं न, उसका पसघा भी आजकल के ई नेता सब न है? ई सब पईसा के गुलाम नेता है, गरीब को दरवाजे पर देख ई सब के बोखार (बुखार) लग जाता है…” लालूजी जिसके लिए किए, वही सब धोखा दिया ।
ई सुरेश पासवान आजकल भाजपा-भाजपा कर रहा है, दिल पर हाल रख के कहे कि अगर लालूजी नहीं रहते तो क्या रामविलास पासवान जैसा दलित नेता पैदा होता ? ई सब सुशील मोदिया, नीतीशवा….ई सब लालू के चेला चपट्टा है….ई सब बाभन-राजपूत लोग लालूजी का क्या बिगाड़ लेता , उनको अपना लोग ही धोखा दिया है सब…..पिछड़ा, दलित लोग ही धोखा दिया…..नीतीश धोखा दिया, रामविलास जी धोखा दिए, साधु और सुभाष यादव जैसा साला लोग धोखा दिया, और अब बहू-बेटा बदनामी फैला रहे हैं ।
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जो झोपड़ी में रहता है, लालू उसके भगवान हैं
झारखंड की राजधानी धुर्वा के जगन्नाथपुर ईलाके की बस्ती में खटाल पर कुछ लोग सुबह-सुबह दूध लेने आए हैं । वहां चौकी पर अखबार पड़ा है । एक बुज़ुर्ग बोल पड़े, “लालू के बुढाडी में दुर्गति हो गया”
वहीं पास खड़ा नौजवान बोल उठा, “खाली लालू यादव ही घोटाला किए हैं ? बाकी सब दूध का धुला है ?
तीसरा- ” स्वर्ग यहां, नरक यहां …..सबको इसी लोक में भुगतना है
खटाल वाले को शायद ये सब बात पसंद नहीं आ रही थी । देखिए, यहां पार्टी- पॉलिटिक्स के बात मत कीजिए….आपस में माहौल खराब हो जाएगा…..
लेकिन एक बात कहूंग कि लालूजी को अब छोड़ देना चाहिए, बेचारे अंतिम समय में परिवार के साथ रहते…
लालू तो विरले ही पैदा होते हैं
लालू प्रसाद यादव पर दर्जनों पुस्तकें लिखी गई, कई कॉमेडियन लालू की नकल कर फेमस हो गए । कवियों के पहली पसंद रहे लालू, कार्टूनिस्ट लालू के कार्टून बनाकर परिवार का पेट पालते रहे ।लेकिन लालू प्रसाद यादव को कोई आपत्ति नहीं । वो अक्सर कहते – मेरा नाम लेकर कोई कमा-खा रहा है तो मेरा क्या जाता है ? कुछ लोगों ने सलाह दी कि आपको अपना नाम इस्तेमाल करने की रोयाल्टी लेनी चाहिए । इस पर लालू का जवाब था, “हम अहीर हैं, बनिया नहीं “
आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी कहते हैं- “लालू और नीतीश के बीच एक बुनियादी फर्क है। नीतीश अपनी आलोचना करने वालों को कभी नहीं भूलते, वे गुस्से में संवाद बंद कर देते हैं और बदला लेते हैं । लालू उदार हृदय हैं, आप उन्हें गाली दीजिए, लेकिन जब आप उनसे मिलेंगे तो वो लोकाचार नहीं भूलते । शायद इसीलिए लालू हमेशा कार्यकर्ताओं से घिरे दिखते थे और नीतीश ब्यूरोक्रैट्स से घिरे दिखते हैं ।