Friday 22nd of November 2024 04:29:06 AM
HomeBreaking NewsBengal में कांग्रेस से दूर क्यों गए UPA के सहयोगी हेमंत सोरेन,...

Bengal में कांग्रेस से दूर क्यों गए UPA के सहयोगी हेमंत सोरेन, शरद पवार और तेजस्वी?

चुनाव से पहले ही सहयोगियों ने कांग्रेस को मैदान से बाहर मान लिया?

पहले तेजस्वी यादव और अब हेमंत सोरेन, दोनों ने बंगाल में ममता बनर्जी की TMC को समर्थन देने का एलान किया है । बिहार और झारखंड में ये दोनों नेता कांग्रेस के समर्थन की बदौलत खड़े हैं झारखंड में तो हेमंत सोरेन की सरकार ही कांग्रेस के भरोसे चल रही है । अगर कांग्रेस चाहती तो हेमंत सोरेन और तेजस्वी यादव को वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन को समर्थन देने को मजबूर कर सकती थी, लेकिन आज की परिस्थितियों में कांग्रेस की हैसियत अपने सहयोगियों को मजबूर करने की नहीं रही ।

कांग्रेस ने तेजस्वी- हेमंत के फैसले का विरोध क्यों नहीं किया?

कांग्रेस के सहयोगी दल कांग्रेस-वाम मोर्चा को छोड़कर उसके प्रतिद्वंदी TMC को समर्थन को समर्थन दे रहे हैं और कांग्रेस को बुरा नहीं लगा? किसी भी कांग्रेसी ने विरोध के एक शब्द तक नहीं कहे । इसका मतलब है कि कांग्रेस के सहयोगियों ने ही नहीं, खुद कांग्रेस ने भी मान लिया है कि बंगाल चुनाव में वो मुकाबले में भी नहीं है । लिहाजा BJP को रोकने के लिए अगर उसके सहयोगी दल दूसरों के साथ भी जा रहे हैं तो कोई उसे आपत्ति नहीं है ।

कांग्रेस की हैसियत अपने सहयोगियों को आंख दिखाने की नहीं रही

दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया बताते हैं कि

“आज कांग्रेस की हैसियत अपने सहयोगियों से सवाल पूछने की नहीं रही । वो तो बस इस बात से खुश हैं कि हेमंत सोरेन और तेजस्वी यादव ने कांग्रेस पार्टी को अपने साथ रखा है । ये वो दौर है जब कांग्रेस खुद को मजबूत करने पर नहीं बल्कि BJP को हराने पर अपनी सारी उर्जा खत्म कर रही है, फिर BJP को हराने में अगर कोई क्षेत्रीय दल उन्हें बेइज्जत करता है तो करे ।”

कहीं गैर कांग्रेस- गैर भाजपा गठबंधन की आहट तो नहीं ?

क्षेत्रीय दलों को भी पता है कि कांग्रेस की हालत पतली है और वो अकेले अपने दम पर भाजपा को हराने की सोंच भी नहीं सकते । लिहाजा कांग्रेस झक मारकर क्षेत्रीय दलों को ही सपोर्ट करेगी । इसलिए तमाम क्षेत्रीय दल खुद को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं । जिस तरह NCP, RJD, JMM जैसी पार्टियों ने बंगाल में TMC को समर्थन देने का एलान किया है, उससे एक बात तो साफ है कि कांग्रेस अभी तीसरी शक्ति है । आज न कल कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के महा गठबंधन को समर्थन देना ही होगा ।

बंगाल चुनाव में वामदल कहां हैं?

चाहे परिस्थितियां जो हो, लेकिन बंगाल में वाम दलों के पास कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है । लेफ्ट पार्टियों का संगठनात्मक ढांचा भी बंगाल में मौजूद है । लेकिन संकट नेतृत्व का है । दिल्ली की राजनीति ने बंगाल में वाम दलों को तजहीन, विषहीन सर्प में बदल दिया है । बंगाल में 10 सालों से ममता बनर्जी की TMC का शासन है। लेकिन मजबूरीवश लेफ्ट पार्टियों को विरोध भाजपा का करना है, जो बंगाल में कभी शासन में रही ही नहीं ।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments