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चतरा, धनबाद और दुमका को लेकर क्यों है विवाद? क्या है जमीनी हकीकत?

चतरा, धनबाद और दुमका को लेकर क्यों है विवाद? क्या है जमीनी हकीकत?

रांची। झारखंड की जिन तीन सीटों को लेकर सबसे अधिक ख़बर बनाई जा रही है, वो हैं दुमका, चतरा और धनबाद। तीनों सीटों की एक समीक्षा

धनबाद
धनबाद में भाजपा ने ढुल्लू महतो को टिकट दिया है। “राजपूत का अपमान” वाला नारा सबसे अधिक यहीं गूंज रहा है। लेकिन नारा लगाने वाले शायद ध्यान नहीं दे रहे कि दूसरी ओर ढुल्लू के समर्थन में “पिछड़ों और स्थानीय” की गोलबंदी भी हो रही है। धनबाद और बोकारो जैसे शहरों में रहने वाले सवर्ण आमतौर पर भाजपा के वोटर हैं। उनको इससे कोई शायद कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस जाति को उम्मीदवार बनाया गया है। उनको तो सिर्फ़ मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाना है। फिर भी मान लिया कि 20-30% राजपूत वोट भाजपा से छिटकता है और इसके खिलाफ OBC, झारखंडी वोट ढुल्लू महतो के पक्ष में गोलबंद होते हैं तो फायदे में कौन रहेगा। ऊपर से सरयू राय धनबाद में कूदकर गलती कर रहे हैं। उनको लगता है कि जमशेदपुर पूर्वी की तरह कांग्रेस और झामुमो उनको समर्थन देंगे। पर इस बार वो गलत ट्रैक पर हैं, कांग्रेस धनबाद से अपना कैंडिडेट घोषित करने वाली है। और ये प्रिंस खान जैसे पुराने ट्रिक्स बंद कर दें। धनबाद में कांग्रेस का कैंडिडेट रहा, और सरयू राय भी चुनाव लड़ गए तो ढुल्लू महतो की ऐतिहासिक रिकॉर्ड तोड़ जीत होगी। और इसके प्रतिरोध में अगले विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर में भी सरयू राय को भाजपा के परंपरागत वोटरों का कोप झेलना पड़ेगा।

दुमका
दुमका में सुनील सोरेन को टिकट देकर फिर सीता सोरेन को दिया गया। ये सुनील सोरेन के साथ अच्छा नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने जिस गरिमा से पार्टी के फ़ैसले को स्विकार किया है, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए।

सीता सोरेन के खिलाफ़ हेमन्त सोरेन शायद चुनाव नहीं लड़ेंगे। हेमलाल मुर्मू ने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये साफ किया है कि हेमन्त सोरेन दुमका से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे। ST रिजर्व सीट होने के नाते कल्पना सोरेन नहीं लड़ सकतीं। तो फिर सीता सोरेन के मुकाबले कौन? स्टीफन मरांडी लड़ें या हेमलाल मुर्मू, ये दोनो सीता सोरेन को नहीं हरा सकेंगे। झामुमो को कुछ अलग, कुछ out of the box सोचना होगा। जबतक झामुमो का कैंडिडेट घोषित नहीं होता, इस सीट पर कौन जीतेगा, कौन हारेगा, इसे रहने देते हैं।

चतरा
चतरा से आज एक तस्वीर आई जिसमें चतरा के पूर्व सांसद सुनील सिंह मौजूदा उम्मीदवार कालीचरण सिंह के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। इसके आलावा बरही से मनोज यादव, अन्नापूर्णा देवी जैसे बड़े यादव नेता कालीचरण सिंह के समर्थन में चुनाव प्रचार करने आने वाले हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का भी समय लिया जाना है, हालांकि कन्फर्मेशन के बाद ही इसपर बोलना उचित होगा।
जैसा कि अनुमान है चतरा से आरजेडी का उम्मीदवार होगा। काली बाबू स्थानीय हैं। चतरा के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि किसी स्थानीय को सांसद चुना जाए। ऐसे में आरजेडी पर भी दबाव होगा कि किसी स्थानीय को ही टिकट दें। एक नाम जो सामने आ रहा है वो है पत्थर कारोबारी अरुण सिंह का । सत्यानंद भोक्ता ने बहुत कोशिश की लेकिन शायद लालू दरबार में उनकी बात नहीं बनी। मुझे तो ये समझ में नहीं आ रहा है कि इक्का दुक्का अपवादों को छोड़ काली बाबू का विरोध कौन कर रहा है ? इटखोरी इलाके के तीन चार मुखिया कालीचरण सिंह के साथ घूम रहे हैं। वहीं पर राजपूतों की सबसे बड़ी आबादी है। कल एक तस्वीर देखी, सबसे बडे़ राजपूत गांव में कालीचरण सिंह के स्वागत में वहां के लोग आतिशबाजी कर रहे थे।
मेरा आकलन है कि कालीचरण सिंह फिलहाल बहुत आगे चल रहे हैं, फिर भी मैं सामने वाले कैंडिडेट का इंतज़ार करूंगा, उसके बाद ही जीत हार का आकलन होगा।

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