यूपी चुनाव में बीजेपी का पूरा जोर दोबारा सत्ता में वापस आने की है, तो सपा-बसपा बीजेपी को हराकर सरकार बनाना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस का दर्द कुछ अलग है। कांग्रेस को पता है कि वो अकेले चुनाव लड़ी तो मिट्टी पलीद होना तय है । इसलिए पार्टी का पूरा फोकस किसी तरह गठबंधन कर चुनाव में जाने की है ।
बसपा के एकला चलो के एलान के बाद अखिलेश पर टिकी उम्मीदें
कांग्रेस ने सबसे पहले बसपा के साथ गठबंधन की कोशिशें की। लेकिन मायावती ने साफ-साफ कह दिया कि वो उत्तर प्रदेश में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी । इसके बाद कांग्रेस अखिलेश यादव की पार्टी के साथ गठबंधन की उम्मीद लगाए बैठी है। लेकिन अखिलेश हैं कि कांग्रेस को भाव ही नहीं दे रहे । कांग्रेस ने इस काम के लिए प्रशांत किशोर की मदद ली है । प्रशांत किशोर अगले हफ्ते अखिलेश से मिलने वाले हैं।
आप-सपा में गठबंधन संभव
अखिलेश यादव कांग्रेस की बजाय आम आदमी पार्टी को कुछ शहरी सीटें देकर गठबंधन कर सकते हैं। खासकर नोएडा, गाजियाबाद के कुछ क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी का प्रभाव है। दूसरा, अखिलेश की सोच यह भी है कि अगर शरद पवार की अगुवाई में क्षेत्रीय दलों का मोर्चा बना तो केजरीवाल के साथ गठबंधन में वो फायदे में रहेंगे।
कांग्रेस का धर्मसंकट
अमेठी हारने के बाद राहुल गांधी ने यूपी को लगभग भुला ही दिया है। वो केरल के वायनाड से सांसद हैं, लिहाजा वो दक्षिण भारत के राज्यों में ही ज्यादा दौरे कर रहे हैं। यूपी की कमान पूरी तरह प्रियंका गांधी के हाथों में है । ऐसे में अगर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बुरी तरह हार गई तो यह उनकी व्यक्तिगत छवि के लिए भी ठीक नहीं होगा। राहुल गांधी की तरह उनकी छवि भी हारे हुए नेता की हो जाएगी। यही कांग्रेस की सबसे बड़ी दुविधा है।
सिर्फ ट्विटर और चुनावों के पहले दौरे से मजबूत नहीं होगी कांग्रेस
प्रियंका गांधी ने नाव यात्रा के साथ बड़े धमाकेदार अंदाज में यूपी की राजनीति की शुरुआत की थी । उनके गंगा और बनारस दौरे को खूब मीडिया कवरेज़ भी मिली और उन्होंने उत्सुकता भी जगाई । लेकिन उसके बाद वो सिर्फ ट्विटर पर ही ज्यादा सक्रिय दिखीं। ऊब चुनाव नजदीक आते ही वो फिर उत्तर प्रदेश में घूम रही हैं। लेकिन ये दौर सीजनल राजनीति का नहीं है। प्रियंका के उलट योगी आदित्यनाथ सालों भर 365 दिन यूपी में रहकर राजनीति भी करते हैं और लोगों के बीच भी जाते हैं। ऐसे में उम्मीद बस इतनी सी है कि कांग्रेस किसी के साथ गठबंधन करने में कामयाब हो जाएगी, ताकि पार्टी की इज्जत बची रहे ।