दिल्ली में बैठे राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी के खिलाफ जितना बड़ा मोर्चा बनेगा, लाभ उन्हें उतना ही ज्यादा होगा। 1 अकेले मोदी के पीछे सब पड़े हैं-वाला नैरेटिव बनेगा। जनता में फिर सहानुभूति की लहर दौड़ेगी। BJP भी चाहती है कि उसके खिलाफ जलने वाली अंगीठी पर विपक्ष की सारी हांडी एक साथ चढ़ें।

लेकिन उससे पहले उत्तर प्रदेश का रण है और उसमें योगी बनाम मोदी का नरेटिव साथ-साथ चल रहा है। क्या इस नरेटिव को और पेट्रोल डालकर भडकाया जाएगा? 2024 से पहले क्या शरद पवार महाराष्ट्र में कांग्रेस को “औकात में रखने के लिए” उद्धव के साथ मिलकर कुछ और गेम प्लान कर रहे हैं ?
मोदी को शाह पसंद है, लेकिन RSS योगी के साथ
उत्तर प्रदेश के चुनावों में ये नरेटिव भी चल रही है कि मोदी-शाह की जोड़ी योगी आदित्यनाथ को काबू में रखना चाहती है । लेकिन योगी आदित्यनाथ इसलिए टिके हुए हैं क्योंकि संघ उनके साथ है । चर्चा तो यह भी है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बसपा से भाजपा में आकर मंत्री बनने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने मोदी-शाह के इशारे पर ही सीएम को लेकर बयानबाज़ी की है । दोनों ने मीडिया में बयान दिया है कि सीएम कौन बनेगा, इसका फैसला चुनाव के पहले नहीं होगा। जबकि पार्टी का ऑफिशियल स्टैंड है कि योगी के चेहरे पर ही भाजपा चुनाव लड़ेगी । लखनऊ में मोदी के आंख-कान समझे जाने वाले ए.के. शर्मा को पार्टी उपाध्यक्ष बनाना भी ‘योगी को काबू में रखने वाली रणनीति का ही हिस्सा है।
विपक्ष उत्तर प्रदेश चुनावों के दौरान, और अगर सफल रहा तो 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मोदी-योगी के बीच इसी खाई को चौड़ा करना विपक्ष की रणनीति होगी ।

विपक्ष को मोदी के खिलाफ किसी सक्षम चेहरे की तलाश
ये आप मानकर चलिए कि मोदी को हराने के लिए राहुल चेहरा नहीं हो सकते। जबतक चुनाव मोदी-बनाम राहुल गांधी होता रहेगा, मोदी जीतते रहेंगे । राहुल गांधी की Non Serious Politician वाली छवि जनता के बीच इतनी घर कर गई है कि राहुल मोदी के सामने हमेशा हल्के ही लगेंगे । अब मोदी के खिलाफ चेहरा कौन होगा, और उस चेहरे के पीछे कैसे सभी क्षेत्रीय दलों को गोलबंद करना है, इसे लेकर ही सारी कवायद हो रही है। फिर रह चेहरा शरद पवार का हो, नवीन पटनायक का हो या फिर केजरीवाल का । ममता बनर्जी का नाम इसलिए नहीं ले रहा क्योंकि उन्होंने पहले ही कह दिया है कि वे प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं हैं।
मोदी को कैसे मात देंगे शरद पवार और प्रशांत किशोर?
प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने देशभर में 400 ऐसे लोकसभा सीटों की पहचान की है जिनपर कांग्रेस और भाजपा को हराकर क्षेत्रीय दल जीत सकते हैं। जरूरत बस इतनी है कि इन सीटों पर क्षेत्रीय दलों के बीच आपसी टक्कर न हो जाए । इसके लिए सीट दर सीट क्षेत्रीय पार्टियों को बिठाकर समझौता कराना है । कोशिश ये भी है कि इन सीटों पर अगर कोई क्षेत्रीय पार्टी लड़ रही है तो बाकी सभी क्षेत्रीय दल भाजपा या कांग्रेस को मात देने में उसकी मदद करें। अगर इन 400 सीटों में से आधी सीट भी क्षेत्रीय दल जीत जाते हैं तो कांग्रेस को झक मार कर क्षेत्रीय दलों के मोर्चा को समर्थन देना होगा। प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने रिसर्च किया है कि कांग्रेस 2014 और 2019 की तरह ही 2024 में भी 50 से 100 सीटों के बीच ही रहने वाली है ।