झारखंड कांग्रेस के एक नेता हैं, जो टीवी पर अपनी पार्टी का पक्ष रखने में माहिर हैं….वे नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि “रामेश्वर उरावं ने सबसे अच्छा ये किया कि उन्होंने कुछ नहीं किया”….इसे विस्तार से समझाते हुए वे कहते हैं…. उनके सामने प्रदेश प्रवक्ताओं और पार्टी उपाध्यक्ष में मारपीट की नौबत आ गई, पर वे भगवान बुद्ध की तरह शांत रहे….इरफान अंसारी लगभग हर रोज मीडिया में तरह-तरह के बयान दें, लेकिन वह चुप रहते हैं….उमाशंकर अकेला खुलेआम उनपर आरोप लगाते हैं, लेकिन रामेश्वर उरावं शांत…उनका शायद एक ही सिद्धांत है….किसी भी परिस्थिति में कुछ एक्शन नहीं लेना है….
प्रदेश अध्यक्ष जी कुछ करते क्यों नहीं ?
कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्र एक मजेदार घटना का जिक्र करते हैं….इरफान अंसारी ने कोरोना के पहले लहर के वक्त स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था…उन्होंने कहा था कि “एक रिक्शा चलाने वाले को हवाई जहाज चलाने दे दिजिएगा, तो वह एक्सीडेंट ही करेगा ना ?“….इसके अलावा भी इरफान अंसारी ने स्वास्थ मंत्री को “मिठाई बेचनेवाला” और भी न जाने क्या-क्या कहा…बन्ना गुप्ता इसकी शिकायत लेकर झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरावं के पास गये….बन्ना गुप्ता ने तमतमाते हुए कहा कि आप लोग सब मिलकर बेइज्जती करा रहे हैं….रामेश्वर उरावं हूं…हां…करते रहे…अंत में झल्लाकर बन्ना गुप्ता वहां से निकल गए…
कितने विधायकों को दे दिया 12वें मंत्रीपद और बोर्ड-निगम का आश्वासन ?
पार्टी के अंदर अभी 12वें मंत्री पद और बोर्ड-निगमों के बंटवारे पर अंदाजा लगाया जा रहा है…हर नेता के समर्थक बस यही कह रहे हैं कि बांत हो गई है, हमारे नेताजी का तो पक्का है….जबकि हकीकत ये है कि लगभग सभी विधायकों को कुछ न कुछ आश्वासन मिला है…नमन् विक्सल कोंगाड़ी जैसे नेता तो लगभग आश्वस्त थे कि 12वां मंत्री पद उन्हें ही मिलेगा…लेकिन झामुमो में भी इसे लेकर अंदर ही अंदर प्रेशर पॉलिटिक्स चल रहा है…लिहाजा मामला फिलहाल टाल दिया गया है….लेकिन कबतक ?
कांग्रेस की चार महिला विधायकों में किसी को कुछ नहीं मिला ?
कांग्रेस के टिकट पर इस बार चार महिला विधायक चुनकर आई हैं, लेकिन इनमें से किसी को मंत्री पद नहीं दिया गया…इन्हें उम्मीद है कि कम से कम बोर्ड-निगम में तो महिला को प्रतिनिधित्व मिलना ही चाहिए…इस बीच कांग्रेस की चार में से दो महिला विधायकों को इस बात का भी मलाल है कि उनके खिलाफ छोटे-मोटे मामलों पर FIR दर्ज किया गया, लेकिन पार्टी की ओर से इनके समर्थन में एक शब्द भी नहीं फूटे…अरे पद नहीं दे रहे, कम से कम ढंग का सम्मान तो मिले ? लिहाजा चार में से कम से कम तीन महिला विधायकों ने तो मोर्चा खोल ही दिया ।
महिला विधायकों ने भी खोल दिया मोर्चा
ममता देवी आरपीएन सिंह और केसी वेणुगोपाल से अपनी पीड़ा सुना आईं….दीपिका पांडे सिंह ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से कई बार यहां हो रही ज्यादतियों को बता चुकी हैं…पहली बार उन्होंने मीडिया में कह दिया कि संथाल परगना में अवैध माइनिंग जोर-शोर से जारी है । सबको पता है कि संथाल में अवैध माइनिंग का किंगपिन कौन है? लिहाजा इसे सरकार की आलोचना की तरह देखा जा रहा है। उधर बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद अपने मां-बाप के ऊपर चल रहे केस को लेकर एक्टिव हैं…उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कई दौर की मुलाकात की है…उन्होंने और भी प्रयास किये हैं, जिनपर यहां चर्चा करना ठीक नहीं होगा…
बंधु तिर्की और प्रदीप यादव का अपना दर्द है
विधानसभा चुनाव के बाद ताजा-ताजा कांग्रेसी बने बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को उम्मीद थी कि सत्तापक्ष की संख्या में दो और अंक जोड़ने का कुछ न कुछ तो ईनाम मिलेगा ही…लेकिन धीरे-धीरे मंत्री बनने की आस तो टूट ही रही है…अब ले-देकर बोर्ड निगम पर भरोसा है…लेकिन देखिए, वो भी मिलता है या नहीं…?
अफसर नहीं सुनते
ये शिकायत आम है….अधिकतर कांग्रेसी विधायकों की शिकायत है कि राज्य के अफसर उनको वैल्यू ही नहीं देते….लगता ही नहीं कि ये कांग्रेस की सरकार है । कुछ विधायकों ने विधायक दल की बैठक के दौरान भी यह मुद्दा उठाया था…विधायकों का कहना था कि जब हम जनता की पैरवी ही ढंग से नहीं कर पा रहे तो फिर क्षेत्र में किस मुंह से जाएं….? और जब हम अफसरों का विरोध करते हैं तो उल्टा हमपर ही दबाव बनाया जाने लगता है…
अब इन हालातों में बड़ा सवाल ये है कि क्या कांग्रेस संगठन में बदलाव होगा ? क्या प्रदेश अध्यक्ष बदले जाएंगे ? क्या एक-दो मंत्री में भी फेरबदल हो सकता है ? क्या होगा अगर विधायकों की पीड़ा नहीं सुनी गई ?