भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद समीर उराँव ने कहा कि झारखंड में पेसा और वन अधिकार कानून, 2006 का उल्लंघन किया जा रहा है। जब से हेमंत सोरेन की सरकार आयी है ग्राम पंचायत को दिए अधिकारों को छीनने का काम हो रहा है। बालू घाट की नीलामी कर हेमंत सरकार ग्राम पंचायत के अधिकार का सीधा उल्लंघन कर रही है।
जनजाति समाज को वनों पर अधिकार देने के लिए मोदी सरकार गंभीर
उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा देश भर में जनजातीय समाज को वनों पर अधिकार देने के लिए गंभीर पहल की जा रही है। उन्होने कहा कि देश के जनजातीय समाज पर सदियों से हुए ऐतिहासिक अन्याय और अत्याचार से मुक्तिदिलाने की भावना से प्रेरित होकर ‘वन अधिकार कानून, 2006 को पारित किया गया।
15 साल बाद भी सामुदायिक वन पट्टा नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण
समीर उरावं ने कहा कि इस कानून को बने और देश में लागू किए हुए 15 वर्ष पूरे हो चुके हैं लेकिन जनजाति समाज अपने परम्परागत अधिकारों से आज भी वंचित है। इस कानून के तहत वनाधिकार के व्यक्तिगत वनभूमि पट्टे तो जरूर प्राप्त हुए हैं, लेकिन सामूदायिक वनाधिकार पट्टा पूरे देश में मात्र 10 प्रतिशत दिए जा सके हैं यह अत्यंत गंभीर चिंतन का विषय है।
अर्जुन मुंडा ने की है पहल
समीर उरावं ने कहा कि अर्जुन मुन्डा ने छः माह पूर्व ट्वीट कर घोषणा की है कि केन्द्रीय जनजाति मामलों का मंत्रालय और वन व पर्यावरण मंत्रालय एक साथ मिलकर सामुदायिक वन संसाधनों पर अधिकार देने की प्रक्रिया को तेज करते हुए 100 प्रतिशत पूरा करेंगे।
पेसा कानून पास होने के 25 वर्ष बाद भी नहीं मिला अधिकार
भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्रीय कानून पेसा -1996 को भी पारित हुए आज 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। परन्तु राज्य के पंचायतीराज कानूनों में गौण वनोत्पाद, गौण खनिजों पर ग्राम सभा को मालिकाना अधिकार देने के मामले में भारी विसंगतिया हैं। वास्तविकता तो यह है कि केन्द्रीय कानून पेसा के विपरित गौण वनोपज एवं गौण खनिज पदार्थों पर ग्राम सभा को अधिकार ही नहीं दिए गए हैं। यह केन्द्रीय कानून का उलंघन है।