ब्यूरो उज्ज्वल दुनिया
पाकुड़ । गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) तथा माइनिंग विभाग आपस में समन्वय रखकर पत्थर चिप्स परिवहन पर पैनी निगाहे रखें जाने का दावा खोखला नजर आ रहा है। पत्थर व्यापारी जीएसटी का भुगतान तो करते हैं परंतु इसके बाद पत्थर कई बार बिना वैध कागजातों के एक हाथ से दूसरे हाथ में बिकता चला जाता है। जबकि पत्थर चिप्स बिना वैध कागजातों के ट्रांसपोर्ट नहीं किया जा सकता। इसके लिए हर ई-चालान को वेरीफाई करना और उसकी वैलिडिटी जांचना अनिवार्य है। लेकिन विभागीय कार्रवाई सुस्त रहने के कारण राजस्व की भारी क्षति तो व्यवसायी, पत्थर माफियाओं के साथ छुठभैया नेता व तथाकथित पत्रकार हो रहे है मालोमाल।
समय समय पर कभी जांच के दौरान जीएसटी और माइनिंग चालान में भारी अनियमितता उजागर होती है। इससे राज्य सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता है। इसलिए जीएसटी और माइनिंग विभाग लगातार समन्वय स्थापित कर अपने अपने डाटा को आपस में शेयर कर उसका मिलान करें तथा माप तौल विभाग की समीक्षा हो व सभी कांटा घर का निरीक्षण और कैलिब्रेशन के साथ ब्यौरा प्राप्त करे तो सड़क व रेल मार्ग से पत्थर चिप्स के वैध, अवैध परिवहन का गड़बडिय़ां सामने होगी।