क्या मुख्यमंत्री योगी बदले जाएंगे, और कौन है दावेदार??
उत्तर प्रदेश में कई दिनों से राजनीतिक हंगामा बरपा हुआ है, पहले संघ के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होस्बले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,ग्रह मंत्री अमित शाह की बैठक हुई और विषय था उत्तर प्रदेश चुनाव। उसके बाद भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री संगठन,बीएल संतोष का उत्तर प्रदेश का तुफानी दौरा हुआ है । उन्होंने अकेले अकेले में मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य, दिनेश शर्मा, उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री, सुनील, प्रदेश अध्यक्ष के साथ लंबी मंत्रणा की है, उसके बाद कई मंत्रियों और विधायकों, सांसदों से बात की है, ।
उत्तर प्रदेश में कितना परिवर्तन होगा ?
जब से उतर प्रदेश में पंचायत चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा की हार हुई है तब से ही भाजपा में अंदरूनी चिंतन काफी बढ़ गया है । वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा कहते हैं इसके पीछे सीधा कारण विधानसभा चुनाव जो योगी आदित्यनाथ के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह किसी भी हालत में उत्तर प्रदेश चुनाव जितना चाहते हैं । नरेन्द्र मोदी को पता है कि दिल्ली के लिए रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है इसीलिए ही उन्होंने दोनों बार वाराणसी से चुनाव लडा है। दूसरा, बीजेपी के अंदर चिंतन का बडा कारण विधायकों को और सांसदों तथा मंत्रियों की नाराज़गी है । कहते हैं कि नौकरशाही विधायकों और सांसदों, मंत्रियों की कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं है, वह चाहते हैं कि किसी भी हालत में नौकरशाही पर नियंत्रण स्थापित किया जाएं, और उनकी थानों, अस्पतालों तथा सरकारी कार्यालयों में बात मानी जाएं।
योगी को भविष्य का प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट करना शाह को रास नहीं आया
वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा कहते हैं इस चर्चा के पीछे हैं एक नारा है- “2024 में योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री” ।
योगी भाजपा के अकेले मुख्यमंत्री हैं जो टाइम मैगजीन में विज्ञापन निकलवा कर अपने काम का बखान करते हैं। बीजेपी आलाकमान को लगता है कि वह अपने आप को अगला प्रधानमंत्री घोषित कराने की तैयारी कर रहे हैं ।
योगी से नाराज़गी का एक कारण यह भी है कि वह जेपी नड्डा की ज्यादा नहीं सुनते और अमित शाह के लिए तो वह सीधी चुनौती खडी कर ही रहे हैं । क्योंकि ग्रह मंत्री अमित शाह अपने आपको 2024 में प्रधानमंत्री का दावेदार समंझ रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है।
योगी और अमित शाह में बातचीत लगभग बंद है
बताया जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच अब टेलीफोन पर भी कोई संवाद नहीं हो रहा है । चर्चा तो यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी योगी आदित्यनाथ की शक्ति को कम करना चाहते हैं, इसलिए ही वह वरिष्ठ नौकरशाह और पीएमओ में अधिकारी रहे, और गुजरात में भी वह नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वसनीय अधिकारी रहे ए के शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं जिससे कि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो सकें । लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनको यह जिम्मेदारी देने के लिए तैयार नहीं है । कहां तो यहां तक भी जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सरकार से संगठन में भेजकर पिछड़ों को साधने की तैयारी है । वैसे भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच सबकुछ ठीक नहीं है और दोनों में वर्चस्व की लडाई भी हैं, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य संगठन में जाने के लिए भी तैयार नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार और सलाहकार संपादक अमर उजाला विनोद अग्निहोत्री कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदला नहीं जाएगा, क्योंकि संघ के हिंदुत्व के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे ज्यादा प्रभावी हैं, इसलिए संघ नहीं चाहता कि वह मुख्यमंत्री पद से हटे और उनका प्रधानमंत्री की दावेदारी कमजोर हो इसलिए संघ योगी आदित्यनाथ को बचाकर ही रखना चाहेगा। तमाम नाराजगी के बावजूद कुछ मंत्रियों को छोड़कर अधिकतर मंत्री भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदलने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि महाराज जी के बिना उनकी चुनावी वैतरणी पार होना मुश्किल है।
एके शर्मा को एडजस्ट करेंग योगी आदित्यनाथ?
बताया जाता है इस ब्राह्मण समाज और दलित, पिछड़ों को साधने की कोशिश हो सकती है मंत्रीमंडल के विस्तार में। इन सब चर्चाओं के बीच मेरे अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं बदले जाएंगे, कुछ मंत्रीमंडल में जरूर बदलाव होगा, संगठन में भी बदलाव होगा। और एक बात और निश्चित है कि नौकरशाही में अवश्य बदलाव होगा, कुछ अधिकारियों का तबादला भी हुआ है, और आगे भी बडा बदलाव होना है । रही बात ए के शर्मा की तो उनका भी सरकार में शामिल होना लगभग तय है लेकिन उनको उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा, गृह मंत्रालय जैसा विभाग मिलेगा यह देखने वाली बात होगी। क्योंकि ए के शर्मा को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में ठनी हुई है। केन्द्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच यह सीधी लडाई है अब देखने वाली बात यह है कि कौन जीतता है । लेकिन अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नियंत्रित नहीं कर पाएं तो यह गृह मंत्री अमित शाह के लिए बहुत बडा झटका होगा,उनका प्रधानमंत्री पद के लिए दावा कमजोर हो सकता है।