नीरज कुमार जैन
साहिबगंज । राजमहल लोकसभा सांसद विजय हांसदा ने सदन में 127वें संशोधन विधेयक का झामुमो की ओर से समर्थन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और उसके बाद सरकार ने जो कदम उठाया है, उसके लिए विधेयक का समर्थन कर रहा हूँ। लेकिन इसमें एक बात मैं पूर्व से ही इस सदन में इसे रखते आ रहा हूँ। सत्ता पक्ष में बैठे लोग भी जो इस सदन में अपनी बातों को नहीं रख पा रहे हैं, मैं उनकी ओर से भी इस बात को रख रहा हूँ। आरक्षण की स्थिति को लेकर सरकार इतनी खुशी क्यों मना रही है। जब सभी पब्लिक सेक्टर को निजीकरण कर दीजिएगा तो उसके बाद आरक्षित कोटे का कोई फायदा ही नहीं होगा। तो आखिर में निजी क्षेत्रों में भी इसका क्या फायदा होने वाला है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
जब सारे पब्लिक सेक्टर यूनिट का निजीकरण कर देंगे तो आरक्षण से क्या फायदा?
राजमहल सांसद विजय हांसदा ने कहा कि इस मामले को लेकर मैंने पूर्व में सरकार से जवाब भी मांगा था। जहां सरकार से सिर्फ एक लाइन का जवाब आया कि इस निजीकरण से आरक्षण की स्थिति पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। लेकिन मैं चाहता हूं कि इसका विस्तृत जवाब दिया जाए कि आखिर में किस प्रकार सभी निजी क्षेत्रों में आरक्षण लागू रहेगा। सभी सेक्टर को निजी करण कर देने से आरक्षण कोटा में रहने के बाद भी कोई फायदा मिलने वाला नहीं है।
इनका बस चले तो संसद और विधानसभा का भी निजीकरण कर दें
हमारे गांव में एक कहावत है कि कोई बेटा यदि बाप दादा की संपत्ति को बेच कर अपना परिवार चलाएं तो उसे नालायक बेटा कहा जाता है। इस देश के निर्माताओं ने जो इतने दशकों में अनेकों संस्थाने बनाई और मजबूती दी, उसको आप लगातार बेचते जा रहे हैं। आप इस देश के लिए लायक बेटा साबित हो रहे हैं या नालायक इसे आपको भी समझने की जरूरत है। निजीकरण के क्षेत्र में सरकार की स्थिति को देखते हुए मुझे तो ऐसा लगता है कि संसद और विधानसभा का जो क्षेत्र है कुछ दिनों के बाद कहीं इसका भी निजी करण न कर दिया जाए।
आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग
आगे सासंद हांसदा ने सदन में कहा कि मैं अपने झारखंड सरकार द्वारा केंद्र को भेजी गई एक मांग को रखना चाहता हूं। हमारे वहां आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड सरना कोड और आदिवासी कोड बोलकर हेमंत सोरेन की सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजी गई है। इस कोड को लेकर पूर्व में मैंने भी केंद्र सरकार को लिखकर दिया था। जिसमें मुझे कहा गया कि यह संभव नहीं है, क्योंकि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग आदिवासी अपने-अपने कोड की मांग कर रहे हैं। मेरा सरकार से यह निवेदन है कि आप उन राज्यों में जहां से आदिवासी धर्म कोड की बात हो रही है, सभी को मिलाकर एक यूनिक धर्मकोड बनाने की मांग हम अपनी पार्टी की तरफ से करते हैं।