नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर का खूबसूरत शहर पहलगाम, जो हाल ही तक पर्यटकों से गुलजार था, अब वीरान नजर आ रहा है। मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद पर्यटन उद्योग पूरी तरह से ठप हो गया है।
The Resistance Front (TRF) नामक आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसने घाटी में आतंक की रणनीति में बदलाव के संकेत दिए हैं।
पर्यटन में आई तेजी पर लगा ब्रेक
2024 में कश्मीर में 2.3 करोड़ से ज्यादा पर्यटक आए थे, और 2025 की गर्मियों में इससे भी अधिक पर्यटक संख्या की उम्मीद थी। G20 टूरिज्म मीटिंग जैसे आयोजनों के चलते घाटी में पर्यटन को बढ़ावा मिला था, लेकिन यह हमला एक बड़ा झटका साबित हुआ।
“आज सभी होटल बंद हैं, दुकानें बंद हैं और सड़कों पर सन्नाटा है,” – एक स्थानीय होटल व्यवसायी।
डर और पलायन की लहर
घटना के बाद हजारों पर्यटक घाटी छोड़कर लौटने लगे। फ्लाइट टिकट्स की कीमत ₹70,000 तक पहुंच गई। एयरलाइंस और ट्रैवल पोर्टल्स को सरकारी निर्देश पर रद्दीकरण शुल्क माफ करना पड़ा।
“फ्लाइट्स पूरी भरकर जा रही हैं लेकिन खाली लौट रही हैं,” – सतिंदर पाल सिंह, फेडरेशन ऑफ हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म के सदस्य।
स्थानीय समुदाय की मानवता
पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर हमले को लेकर शोक जताया। स्थानीय लोगों ने संकट में फ्री आवास और कैंसलेशन फीस माफ करके पर्यटकों की मदद की।
दक्षिण कश्मीर के डोडा जिले में मस्जिदों से एकता और शांति का संदेश दिया गया, और व्यापार मंडलों व राजनेताओं ने हमला रोकने में चूक पर सवाल उठाए।
आर्थिक नुकसान और रोजगार संकट
पर्यटन विशेषज्ञ दीपक चौधरी ने बताया कि घरेलू पर्यटन पर सबसे अधिक असर पड़ा है और 500 से ज्यादा होटलों को लाखों का नुकसान हुआ है। एक होटल ने बताया कि केवल दो दिनों में ₹2 लाख से अधिक की बुकिंग रद्द हुई।
“हम 100 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी से शून्य पर आ गए हैं,” – एक होटल प्रबंधक।
सुरक्षा पर सवाल और राजनीतिक संदेश
पहलगाम, अमरनाथ यात्रा का बेस कैंप भी है, जहाँ कड़ी सुरक्षा रहती है। इसके बावजूद इतना बड़ा हमला सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पर्यटन को सामान्य स्थिति का प्रतीक बनाना केंद्र सरकार की रणनीति है, लेकिन यह हमला उस धारणा को झटका देता है।
क्या पर्यटन फिर से पटरी पर लौट पाएगा?
कम किराए के बावजूद पर्यटक घाटी आने से हिचक रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना लंबे समय तक घाटी की छवि और अर्थव्यवस्था पर असर डालेगी।
“अब शायद 5% पर्यटक ही आएंगे, 95% लोग डर के कारण नहीं लौटेंगे,” – एक पर्यटन अधिकारी।