रांची : झारखंड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने सरकार से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के भुगतान से संबंधित विवादों को मध्यस्थता के माध्यम से शीघ्र निपटारे का आग्रह किया है| महेश पोद्दार ने कहा कि भुगतान संबंधी विवादों में विलंब से छोटे उद्योगों के समक्ष कार्यशील पूंजी का अभाव हो जाता है जो अंततः राजस्व और रोजगार पर भी प्रतिकूल असर डालता है|
महेश पोद्दार के सवाल के जवाब में मंत्री नारायण राणे ने बताया कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 की धारा 18 की उप धारा 3 में यह प्रावधान है कि इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत समझौता विफल होने की स्थिति में सूक्ष्म और लघु उद्यम सुविधा परिषद (एससीएफसी) मध्यस्थता हेतु विवाद पर स्वयं कार्यवाही करेगी या इसे इसी तरह की मध्यस्थता के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान सेवायें प्रदान करनेवाली किसी संस्था अथवा केंद्र को भेज देगा|
साथ ही, एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 की धारा 18 की उप धारा 4 में यह प्रावधान है कि वैकल्पिक विवाद समाधान सेवायें प्रदान करनेवाली एमएसईएफसी अथवा केंद्र के पास आपूर्तिकर्ता और क्रेता के बीच किसी भी विवाद में इस धारा के तहत मध्यस्थता करता अथवा समझौता कर्ता के रूप में कार्य करने का अधिकार होगा|
इसके अलावा, आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार कार्य करनेवाला ट्रेड रिसीवेबल डिस्काउंटिंग प्रणाली (टीआरईडीएस) नामक एक तंत्र भी उपलब्ध है| यह विभिन्न फाईनेन्सर के माध्यम से एमएसएमई को ट्रेड रिसीवेबल्स में छूट की सुविधा प्रदान करने का एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म है| भारत सरकार ने केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) और 500 करोड़ रुपये या उससे अधिक के टर्नओवर वाली सभी कंपनियों को ट्रेडस में शामिल होने का निर्देश जारी किया है|