रांची : मैथिली भाषा के वरिष्ठ कवि-कथाकार और भारती मंडन पत्रिका के यशस्वी संपादक केदार कानन की नई किताब “अक्ष पर नचैत” का सोमवार को हरमू में लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर मैथिली के कई साहित्यकार और साहित्यप्रेमी मौजूद रहे। कभी अपनी कविता के बाद वाली पीढ़ी को लहलहाते देखने वाले कवि केदार कानन अपने अग्रज रचनाकारों को भी बहुत आदर और आह्लाद के साथ याद करते हैं और इसी क्रम में उनकी यह नयी पुस्तक मैथिली के दिवंगत कवि – कथाकार – उपन्यासकार जीवकांत के पत्रों पर केंद्रित है।
कार्यक्रम में उपस्थित रांची दूरदर्शन के अवकाश प्राप्त निदेशक प्रमोद कुमार झा ने कहा कि यह पुस्तक वस्तुतः जीवकांत के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित संस्मरण है, जिसमें लेखक ने आदर के संग लेकिन बिलकुल तटस्थता के साथ उनके बारे में लिखा है। लेखक अमरनाथ झा ने कहा कि यह पुस्तक वस्तुतः बहुत पहले लिख ली गयी थी, जब जीवकांत जीवित ही थे और जीवकांत ने इस पुस्तक के प्रारंभिक अंश को पढ़ा भी था। कार्यक्रम में पूर्णिया से आये कवि और उपन्यासकार सुरेन्द्रनाथ मिश्र ने कहा कि पत्रों को आधार बनाकर लिखा गया यह संस्मरण तत्कालीन मैथिली जगत का विलक्षण इतिहास पेश करता है।
रांची स्थित भारतीय स्टेट बैंक से अवकाश प्राप्त मुख्य प्रबंधक बदरीनाथ झा ने इस पुस्तक की प्रशंसा करते हुए इसे बेहद पठनीय बताया। कवयित्री एवं कथाकार सुस्मिता पाठक ने कहा कि इस किताब के बहाने मैथिली की एक मनोरंजक दुनिया पाठकों के सामने खुलती है, जो विशिष्ट है। लोकार्पण कार्यक्रम में मौजूद किरण झा, वन्दना झा और कडरू स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक पशुपति नाथ झा ने इस पुस्तक का स्वागत करते हुए कहा कि इसके जरिए जीवकांत को समझने का एक नया रास्ता खुलेगा। अंत में लेखक केदार कानन ने कहा कि जीवकांत ने इस किताब को प्रकाशित कराने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया था, लेकिन अफ़सोस कि उनके जीवन काल में यह प्रकाशित नहीं हो पायी।
कार्यक्रम में मौजूद साहित्यकारों एवं साहित्यप्रेमी अमीषा झा, सुयश वत्स एवं ऋजिश्वा आदि ने लेखक को इसके प्रकाशन के लिए बधाई दी।