प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के पहले शाही स्नान में त्रिवेणी संगम पर आस्था का महासागर उमड़ा। साधु-संतों, देशी और विदेशी श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर अमृत स्नान का आनंद लिया। इस आध्यात्मिक आयोजन में हजारों लोग शांति, पवित्रता, और आत्मिक ऊर्जा की तलाश में खिंचे चले आए।
विदेशी श्रद्धालुओं की अनोखी अनुभूतियां
- रूस की जेरेमी: सात वर्षों से सनातन धर्म का पालन कर रहीं जेरेमी ने गंगा-यमुना के संगम में डुबकी लगाकर इसे तर्क और विश्वास का धर्म बताया। उन्होंने कहा, “यह अनुभव मेरी आत्मा को शांति देने वाला है।”
- पोलैंड की क्लाउडिया: उन्होंने इसे जीवन का सबसे अद्भुत अनुभव बताया। क्लाउडिया ने कहा, “यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा और आनंद को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती।”
- ऑस्ट्रेलिया की मंजरिका: भारत में 40 दिन से रह रहीं मंजरिका ने कहा कि महाकुंभ में आने का उनका सपना पूरा हुआ। उन्होंने इसे एक अनोखा और दुर्लभ अनुभव बताया।
- जापान के मसाजी और मिसाकी: मसाजी, जो दूसरी बार कुंभ में आए हैं, ने इसे मंत्रमुग्ध करने वाला अनुभव बताया। मिसाकी ने कहा, “यहां आकर मुझे शांति का एहसास हो रहा है।”
- साउथ अफ्रीका की निक्की: निक्की ने बताया कि अमृत स्नान से उन्हें अद्भुत शक्ति मिली। उन्होंने संगम के स्वच्छ और सकारात्मक वातावरण की प्रशंसा की।
- स्पेन के जोस और उनके दोस्त: जोस ने कहा, “अमृत स्नान करने से हमें नई ऊर्जा और शांति की अनुभूति हुई। यह यात्रा हमारी आत्मा के लिए धन्यकारी है।”
आध्यात्मिकता और उत्सव का संगम
माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करना अमृतपान के समान है। विदेशी श्रद्धालुओं ने भारत की संस्कृति, आध्यात्मिकता, और मिलनसार लोगों की जमकर प्रशंसा की।
महाकुंभ के इस भव्य आयोजन ने न केवल देशवासियों बल्कि पूरी दुनिया के श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद प्रदान किया। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की वैश्विक पहचान को और अधिक मजबूत बना रहा है