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क्या भारत पाहलगाम हमले का बदला लेगा? विशेषज्ञ ने खोली पाकिस्तान की कमजोरी

पाहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत में हर जगह एक ही सवाल गूंज रहा है — क्या भारत बदला लेगा? और अगर लेगा, तो कैसे? इसी बीच अमेरिका के मशहूर विदेश नीति विशेषज्ञ प्रोफेसर मुक़्तेदार खान ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है।

भारत-पाकिस्तान युद्ध की कगार पर?
प्रोफेसर मुक़्तेदार खान के अनुसार, पाहलगाम जैसे हमलों के बाद भारत एक बड़े द्वंद्व में है। प्रधानमंत्री मोदी पर जनता का जबरदस्त दबाव है कि पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए। लेकिन साथ ही, वैश्विक आर्थिक मंदी और अमेरिका की टैरिफ नीतियों के बीच, कोई भी युद्ध भारत की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

अगर भारत सीमित या छोटे स्तर का हमला करता है, तो इससे पाकिस्तान को फायदा हो सकता है — क्योंकि वहां की आवाम सेना और सरकार के पीछे खड़ी हो जाएगी। लेकिन अगर भारत पूर्ण युद्ध छेड़ता है, तो पाकिस्तान का आर्थिक पतन तय है। एक लंबी जंग पाकिस्तान को 10-15 साल पीछे धकेल देगी। हालाँकि, भारत को भी कुछ आर्थिक नुकसान सहना पड़ेगा।

मोदी के सामने चुनौती:
पीएम मोदी के सामने चुनौती है कि प्रतिक्रिया इतनी छोटी न हो कि पाकिस्तान फायदे में रहे, और इतनी बड़ी भी न हो कि अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ जाए। भारत को ऐसा प्रहार करना होगा जो न पाकिस्तान संभाल पाए, न दुनिया उसमें हस्तक्षेप कर सके।

क्या अमेरिका समर्थन करेगा?
ट्रंप प्रशासन ने भारत के प्रति सहानुभूति दिखाई है। पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगभग अलग-थलग पड़ चुका है — न OIC, न सऊदी अरब, न UAE और न ईरान कोई भी पाकिस्तान के समर्थन में खुलकर नहीं आना चाहता।

ट्रंप भारत का साथ शब्दों में देगा, लेकिन अमेरिका के आंतरिक हालात देखते हुए वह सीधे हस्तक्षेप से बचना चाहेगा। जब तक भारत कोई बहुत बड़ा कदम नहीं उठाता, तब तक ट्रंप भारत को फ्री हैंड दे सकते हैं।

व्यापार और अमेरिका का नजरिया:
भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर भी ट्रंप की नजर है। भारत ने हाल ही में फ्रांस से 7.4 अरब डॉलर के राफेल विमान खरीदे, जिससे अमेरिका असंतुष्ट है। ट्रंप भारत से उम्मीद करेंगे कि वह व्यापार घाटा कम करे, लेकिन युद्ध के सवाल पर भारत को अभी खुली छूट मिल सकती है।

भारत समिट और भविष्य:
प्रोफेसर मुक़्तेदार खान ने कहा कि हैदराबाद में हो रहा India Summit प्रगतिशील आवाजों के लिए एक बड़ा मंच है। जब दुनिया भर में कट्टरता बढ़ रही है, तब लोकतंत्र के पक्षधर लोगों को एकजुट होना पड़ेगा। भारत इस संघर्ष में एक मजबूत उम्मीद है।

निष्कर्ष:
भारत के पास अब मौका है — एक ऐसा जवाब देने का, जो न केवल पाहलगाम के शहीदों का सम्मान करेगा, बल्कि पाकिस्तान को भी उसकी औकात याद दिलाएगा। समय आ गया है कि नया भारत न तो झुकेगा, न रुकेगा।

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