Monday 19th of May 2025 08:43:47 AM
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चाईबासा में IED ब्लास्ट: लकड़ी चुनने गई नाबालिग लड़की की मौत, नक्सलियों के कायराना हरकत पर पुलिस की सख्त प्रतिक्रिया

चाईबासा: झारखंड के चाईबासा जिले के सारंडा जंगल क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) विस्फोट में एक नाबालिग लड़की की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना 7 जनवरी की सुबह जराईकेला थाना क्षेत्र के तिरिलपोसी गांव में हुई। पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने इस घटना की पुष्टि की।

कैसे हुआ हादसा?

ग्रामीणों के अनुसार, तिरिलपोसी गांव की एक नाबालिग लड़की जलावन के लिए लकड़ी चुनने सारंडा जंगल के रादापोड़ा इलाके में गई थी। लकड़ी इकट्ठा करते समय लड़की का पैर नक्सलियों द्वारा लगाए गए प्रेशर IED पर पड़ गया, जिससे जोरदार विस्फोट हुआ। इस हादसे में लड़की की मौके पर ही मौत हो गई। मृतका का ननिहाल थोलकोबाद में बताया गया है।

इस विस्फोट में एक अन्य महिला भी मामूली रूप से घायल हुई है।

पुलिस की प्रतिक्रिया

चाईबासा पुलिस ने घटना के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। उन्होंने बताया कि नक्सलियों द्वारा पहले से लगाए गए IED की चपेट में आने से यह दुखद हादसा हुआ। पुलिस ने इसे नक्सलियों की “कायराना हरकत” करार दिया, जिसका उद्देश्य ग्रामीणों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाना है।

पुलिस ने ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है और जंगलों में बिना सावधानी के जाने से बचने का आग्रह किया है।

सारंडा क्षेत्र में नक्सली खतरा

सारंडा जंगल क्षेत्र नक्सलियों के गतिविधियों के लिए बदनाम है। जराईकेला और छोटानागरा सीमावर्ती थाना क्षेत्रों के जंगलों में नक्सलियों ने बड़ी संख्या में IED लगाए हुए हैं। ये विस्फोटक उपकरण सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए जाते हैं, लेकिन अक्सर निर्दोष ग्रामीण इनके शिकार हो जाते हैं।

कुछ दिन पहले ही नवाडीह गांव के सुनील सुरीन नाम के एक व्यक्ति की भी IED विस्फोट में मौत हो गई थी।

पुलिस की कार्रवाई और चुनौती

चाईबासा पुलिस ने नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए अपनी सर्च ऑपरेशन तेज कर दी है। हालांकि, घने जंगलों में नक्सलियों द्वारा लगाए गए विस्फोटकों को ढूंढना और उन्हें निष्क्रिय करना एक बड़ी चुनौती है।

ग्रामीणों की सुरक्षा पर सवाल

इस तरह की घटनाएं न केवल नक्सलियों की क्रूरता को उजागर करती हैं, बल्कि ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं। प्रशासन को चाहिए कि ग्रामीण इलाकों में जागरूकता बढ़ाए और विस्फोटक उपकरणों का पता लगाने के लिए तकनीकी संसाधनों का उपयोग करे।

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