46 हजार करोड़ के बैंक कर्जे में डूबी वीडियोकॉन 3000 करोड़ में बिक रही है। खरीददार होंगे वेदांता के अनिल अग्रवाल। NCLT ( National Company Law Tribunal) ने अनुमति दे दी है। मतलब बैंको को 43000 करोड़ गँवाने पड़ेंगे। नये बैंक्रप्सी कानून के तहत ऐसे सनसनीख़ेज़ सौदे धड़ल्ले से हो रहे हैं।
कुछ और उदाहरण हैं जो बताते हैं कि जब से दिवालिया कानून आया है तब से ज्यादातर कंपनियों के दिवाले ही निकाल के investors और कर्जादाताओं को और गहरे गढढे मे डाल के कुछ चुनिन्दा कॅर्पोरेट्स को फायदा पहुंचा रहा है । उदाहरण के तौर पर पिरामल द्वारा DHFL की खरीद ।
घाटे मे चल रही या अधिक NPA वाली नामी गीरामी कंपनी को भी कोई भी औने पौने दाम मे खरीद के उसके Employees ,Investors और Bankersको बड़े घाटे मे पहुंचा रहा है । क्योंकि नया दिवालिया कानून निवेश की रकम का डूबना और उससे जाने वाली नौकरियों के बारे में कुछ नहीं कहता ।
एक और खतरनाक बात,
जो कंपनी दिवालिया होकर बिक गई, तो नया खरीददार शेयर होल्डर्स को बिना एक रुपये दिए, कंपनी के शेयर को delist कर सकता है।
उदाहरण:
मान लिजिए आपने अपनी जमापूंजी जोड़-जोड़ कर DHFL के शेयर खरीदे, ताकि वक्त आने पर बच्चों की पढ़ाई या बेटी की शादी के वक्त काम आ सके । लेकिन DHFL ने अचानक खुद को दिवालिया घोषित कर दिया और पिरामल ने कंपनी को आधे-पौने दाम में खरीद लिया। ऐसे में आपका पैसा तो गया। Investors के लाखों करोड़ रुपये डूब रहे हैं। कोई भी कांग्रेसी DHFL पर सवाल खड़े नहीं करेगा, कारण आप जानते हैं ।