Sunday 9th of February 2025 02:13:11 PM
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DM इंद्र विक्रम सिंह: जब बैंक अधिकारियों को बंद कर दिया सभागार में

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में डीएम के रूप में तैनात इंद्र विक्रम सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसा साहसिक निर्णय लिया, जो हर जगह चर्चा का विषय बन गया। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास योजना की समीक्षा बैठक में उन्होंने पाया कि बैंक अधिकारियों की लापरवाही के कारण 98 से अधिक लोन प्रकरण लंबित हैं। इस पर उन्होंने अधिकारियों को तुरंत इन मामलों का निपटारा करने का आदेश दिया और निर्देश दिया कि जब तक सभी लंबित मामले सुलझ नहीं जाते, कोई भी अधिकारी सभागार से बाहर नहीं जाएगा।

इतना ही नहीं, उन्होंने सभागार का दरवाजा बंद करवा दिया और सभी बैंक अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगर रातभर रुकना पड़े तो भी काम जारी रहेगा। इसके लिए उन्होंने रजाई और गद्दे की व्यवस्था तक करवाई। उनकी इस सख्ती का प्रभाव यह रहा कि शाम 4 बजे शुरू हुई बैठक में रात 8 बजे तक 77 प्रकरण सुलझा लिए गए।

डीएम इंद्र विक्रम सिंह का सफर:

फतेहपुर जिले के मूल निवासी इंद्र विक्रम सिंह का जन्म 15 जून 1969 को हुआ। उन्होंने दर्शनशास्त्र (फिलॉसफी) में एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीपीएससी परीक्षा पास की और 1994 में पीसीएस अधिकारी बने। प्रशासनिक सेवा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण उन्हें 2016 में आईएएस के पद पर प्रमोशन मिला।

प्रशासनिक पदों पर कार्य:

आईएएस बनने के बाद इंद्र विक्रम सिंह ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। उनकी पहली पोस्टिंग म्यूनिसिपल कमिश्नर, आगरा के रूप में हुई। इसके बाद उन्होंने शामली, शाहजहांपुर, बलिया, अलीगढ़ और गाजियाबाद जैसे जिलों में डीएम के रूप में कार्य किया। गाजियाबाद में उनका कार्यकाल उनकी सख्त कार्यशैली और जनहित के लिए किए गए अद्वितीय प्रयासों के लिए याद किया जाएगा।

तबादले से पहले चर्चा में:

गाजियाबाद के डीएम के रूप में उनका कार्यकाल 17 जनवरी 2025 को समाप्त हुआ, जिसके बाद उनका तबादला लखनऊ में सचिव कृषि, कृषि विपणन और विदेश व्यापार एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग में कर दिया गया। उनके तबादले से पहले की गई यह समीक्षा बैठक उनके कार्यशैली का एक शानदार उदाहरण थी।

उनकी कार्यशैली क्यों है अलग?

  • सख्ती और अनुशासन: डीएम इंद्र विक्रम सिंह की कार्यशैली सख्ती और अनुशासन पर आधारित है। वह लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के लिए जाने जाते हैं।
  • जनता के लिए काम: उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दी और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया।
  • सरल लेकिन सशक्त व्यक्तित्व: उनका व्यक्तित्व प्रशासनिक सख्ती के साथ-साथ सहानुभूति और सरलता का अनूठा मेल है।

क्या कहती है जनता?

गाजियाबाद के लोग उन्हें एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले और जनहितैषी अधिकारी के रूप में याद करते हैं। उनके इस सख्त निर्णय से बैंक अधिकारियों में अनुशासन कायम हुआ और आम जनता को योजनाओं का लाभ समय पर मिला।

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