कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर का रांची दौरा: कई कयासों को मिल रहा बल
रांची: कांग्रेस के झारखंड प्रदेश प्रभारी और AICC के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम अहमद मीर आज रात रांची पहुंच गए। उनकी इस अचानक यात्रा ने कई कयासों को जन्म दिया है, खासकर विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर। गुलाम अहमद मीर जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में व्यस्त रहने के बावजूद रांची का दौरा कर रहे हैं।
रांची एयरपोर्ट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने गुलाम अहमद मीर का गर्मजोशी से स्वागत किया। मीर रात भर रांची में रुकेंगे और अगले दिन सुबह 09 बजे अपनी वापसी करेंगे।
गुलाम अहमद मीर का रांची दौरा क्यों खास माना जा रहा है?
गुलाम अहमद मीर का रांची दौरा खास माना जा रहा है, क्योंकि उनके जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहले चरण के मतदान से ठीक पहले रांची आना एक महत्वपूर्ण कदम प्रतीत होता है। उनके रांची आगमन ने चुनावी रणनीति और संगठनात्मक तैयारियों को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।
मीर ने एयरपोर्ट पर कहा कि उनका रांची आना झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए है। उन्होंने बताया कि राज्य में दो नए सह प्रभारी बनाए गए हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी हाल ही में नियुक्त हुए हैं। मीर का रांची में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों और पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक का कार्यक्रम है, जिसमें राज्य में चुनावी रणनीति और संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की संभावना
गुलाम अहमद मीर ने कहा कि फिलहाल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कोई निर्धारित मुलाकात नहीं है, लेकिन रोजाना फोन पर बातचीत होती रहती है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आवश्यक हुआ तो वे अपनी वापसी से पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सकते हैं।
बैठक का मुख्य एजेंडा
पार्टी सूत्रों के अनुसार, गुलाम अहमद मीर आज रात कांग्रेस के सह प्रभारी डॉ. बेला प्रसाद और प्रदेश कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में पार्टी की चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने के साथ-साथ राज्य में चल रहे सांगठनिक कार्यक्रमों की समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा, अगले कुछ दिनों के लिए कांग्रेस नेताओं को टास्क सौंपे जाएंगे और सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग पर भी चर्चा की जाएगी।
गुलाम अहमद मीर का यह दौरा झारखंड कांग्रेस के लिए आगामी विधानसभा चुनावों की दिशा और रणनीति को सुसंगत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।