Saturday 27th \2024f July 2024 05:10:44 AM
HomeBreaking Newsरैयतों की जमीन लेने से पहले जमीन अधिग्रहण कानून को ठीक से...

रैयतों की जमीन लेने से पहले जमीन अधिग्रहण कानून को ठीक से पढ़ें अधिकारी

रैयतों से जमीन लेने से पहले ग्रामसभा की मंजूरी जरूरी- रामेश्वर उरावं
रैयतों से जमीन लेने से पहले ग्रामसभा की मंजूरी जरूरी- रामेश्वर उरावं

रांची। राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति डॉ0 रामेश्वर उरांव ने सड़क और अन्य परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने वाले केंद्र सरकार के अधिकारियों को यह सलाह दी है कि वे रैयत से जमीन लेने के पहले कानून को ठीक से पढ़े और उसका अक्षरशः पालन करें। आवश्यक परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए रैयतों को समुचित मुआवजा प्रदान करें।  डॉ0 उरांव आज बेड़ो में एनएच-23 सड़क चौड़ीकरण और बाईपास के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए कम मुआवजा मिलने के खिलाफ कांग्रेस नेता सन्नी टोप्पो के नेतृत्व में आहूत जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा कि वे यहां किसी को भड़काने या उकासने के लिए नहीं आये है, बल्कि 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये भूमि अधिग्रहण कानून के बारे में जानकारी देने आये है। उन्होंने कहा कि इस कानून में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार की ओर से यदि सड़क, खनन और अन्य जनउपयोगी कार्यां के लिए जमीन अधिग्रहण की जाती है, तो सड़क के किनारे की जमीन की कीमत बाजार दर से चार गुणा अधिक मुआवजा दिये जाने का प्रावधान है । इस कानून को भूमि अधिग्रहण में लगे अधिकारी पहले पढ़े और उसका अक्षरशः पालन कराएं ।

उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र शिड्यूल एरिया में आता है, शिड्यूल एरिया में भूमि अधिग्रहण के लिए कई नियमों का पालन जरूरी है । भूमि अधिग्रहण के पहले ग्राम सभा की अनुमति जरूरी है। इन सारे नियमों का पालन करने के बाद ही जमीन अधिग्रहण होना चाहिए। लेकिन उन्हें यह जानकारी मिली है कि बेड़ो में एनएच चौड़ीकरण और बाईपास के लिए जो जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा मिल रहा है, वह काफी कम है। उन्होंने बताया कि हजारीबाग में उनकी पत्नी के नाम पर 25 डिसमिल जमीन थी, उसके एवज में उन्हें 57लाख रुपये का मुआवजा मिला।

इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार हड़पने के लिए लगातार कुचक्र रच रही है। पहले इस कानून में ही बदलाव का प्रयास किया गया, लेकिन उसमें विफल होने के बाद तरह-तरह के षड़यंत्र किये जा रहे है, इसके कारण देशभर के किसान आंदोलरत है और अब यहां के रैयतों को भी अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष करने की जरूरत है।

इस मौके पर आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सन्नी टोप्पो ने कहा कि एनएच-23 सड़क चौड़ीकरण पलता से गुमला पथ सेक्शन में बेड़ो प्रखंड में जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है, जिसमें जरिया, पुरियो, बेड़ो, बरीडीह, नगड़ी, ईटा, चिल्दरी, चैरमा, कदोजोरा, हाठु लमकाना और असरो मौजा में 2000 रुपये से लेकर 18 हजार रुपये प्रति डिसमिल का  मुआवजा को लेकर नोटिस दिया गया है, जो ग्रामीणों को मंजूर नहीं है।

यहां अभी जमीन का बाजार दर 3 से 4 लाख प्रति डिसमिल चल रहा है और बाजार दर से चार गुणा अधिक दर पर मुआवजा मिलना चाहिए, जब तक उचित मुआवजा नहीं दिया जाता है, तब तक रैयत अपनी जमीन नहीं देंगे,क्योंकि ग्रामीणों के पास जमीन सीमित है और इसी पर खेतीबारी कर सभी जीवन यापन कर रहे है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments