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असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में विलुप्तप्राय पल्लास मछली ईगल की दुर्लभ उपस्थिति से संरक्षणवादियों में खुशी की लहर

काजीरंगा (असम): असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में विलुप्तप्राय पल्लास मछली ईगल (Pallas’s Fish Eagle) की हालिया दुर्लभ उपस्थिति ने वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों और पक्षी प्रेमियों को उत्साहित कर दिया है। यह दुर्लभ शिकारी पक्षी, जिसे अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में ‘Endangered’ यानी ‘लुप्तप्राय’ श्रेणी में रखा गया है, को 16 मार्च 2025 को बंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (BNHS) के वैज्ञानिकों ने दर्ज किया।

इस ईगल को A-25 नंबर वाली रिंग के ज़रिये पहचाना गया, और यह पता चला कि इसे मंगोलिया के बून्तसगान झील में 21 अगस्त 2020 को डॉ. बतमुंख ने टैग किया था।

पक्षी की अनोखी प्रवासी आदतें:
डॉ. बतमुंख, जो मंगोलिया के Wildlife Science and Conservation Center (WSCC) से जुड़े हैं, ने बताया कि यह नर पक्षी, जिसे ‘इदर’ नाम दिया गया है, पिछले पांच वर्षों से लगातार काजीरंगा में प्रजनन के लिए लौटता रहा है, और फिर गर्मियों में मंगोलिया लौट जाता है।

“यह दुर्लभ शिकारी पक्षी नवंबर से मार्च के बीच भारत में प्रजनन करता है और फिर जून से सितंबर के बीच मंगोलिया के झीलों में वापस जाता है। काजीरंगा इस ईगल को देखने के लिए विश्व के सर्वोत्तम स्थलों में से एक है।”

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया:
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस अद्भुत घटना पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा:

“मंगोलिया से टैग किया गया पल्लास मछली ईगल लगातार पांच वर्षों से काजीरंगा को अपना प्रजनन स्थल बना रहा है। यह असम को वैश्विक पक्षी प्रवासन मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाता है।”

काजीरंगा का महत्व:
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, जो UNESCO विश्व धरोहर स्थल भी है, 119 वर्षों की संरक्षण परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यह टाइगर रिज़र्व, ‘बिग फाइव’ स्तनधारियों का घर होने के साथ-साथ, 500 से अधिक पक्षी प्रजातियों का भी आश्रय स्थल है।

पक्षी संरक्षण के लिए संदेश:
यह घटना न केवल काजीरंगा को एक महत्वपूर्ण प्रवासी पक्षी निवास स्थल के रूप में स्थापित करती है, बल्कि इस बात पर भी बल देती है कि विलुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए ठोस प्रयास और जागरूकता की अत्यधिक आवश्यकता है।

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