Sunday 15th of June 2025 03:44:22 AM
HomeBreaking News"26 लाशें और संसद की चुप्पी: क्या अब भी ‘विशेष सत्र’ मांगना...

“26 लाशें और संसद की चुप्पी: क्या अब भी ‘विशेष सत्र’ मांगना पड़ेगा?”


26 लोग मारे गए।
पर्यटक थे — हथियार नहीं, कैमरे लेकर आए थे।
कश्मीर की वादियों में शांति ढूंढने आए थे।
और लौटे… तिरंगे में लिपटे हुए।


इस पर भी अगर संसद खामोश रहे,
तो सवाल बनता है:
“क्या संसद अब सिर्फ चुनावी भाषणों की मंडी बनकर रह गई है?”


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार से
विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
याद दिलाया — 1994 का वो ऐतिहासिक प्रस्ताव,
जिसमें पाकिस्तान की घुसपैठ और आतंक को लेकर
दोनों सदनों ने एकजुटता दिखाई थी।


क्या अब फिर वही वक्त नहीं आ गया?

  • जब संसद ये दोहराए कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है।

  • जब पाकिस्तान को दो टूक कहा जाए —
    “जो जमीन तूने कब्जाई है, उसे खाली कर!”

  • जब यह दिखाया जाए कि हम सिर्फ बोलते नहीं, करते भी हैं।


मगर अब संसद क्यों चुप है?

क्योंकि:

लोकसभा TV में कैमरा है, पर संवेदना नहीं।
राज्यसभा में कुर्सियाँ गर्म हैं, पर हिम्मत ठंडी।
ट्रेंडिंग में ‘मणिपुर’, ‘शिंदे’, और ‘सेल्फी’ है,
पर ‘पहलगाम’ कहीं नहीं।


 **क्या विपक्ष को भी अब लाशों की गिनती करनी पड़ेगी…

ताकि संसद जागे?**

क्या अब राहुल गांधी और खड़गे को
पीएम को चिट्ठी लिखकर याद दिलाना पड़ेगा कि,
“देश के अंदर जो नरसंहार हुआ है, उस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए?”


कौन डर रहा है?

सरकार कहेगी:
“राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति न करें…”
पर सवाल ये है —
“जब आतंकवाद राजनीति से नहीं डरता,
तो राजनीति आतंकवाद से क्यों डरे?”


 **’विशेष सत्र’ नहीं,

‘विशेष साहस’ की ज़रूरत है,
जो ना सत्ता में दिख रहा है,
ना सड़क पर।**

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments