रांचीः रांची के मूल निवासी और बीएसएफ के डीआईजी अजीत टेटे को इस बार राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किया गया है। अपने युवा जीवन में रांची के संत जेवियर कॉलेज के छात्र अजीत बॉलीबॉल के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। उन्हें उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए एक बार फिर से राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया है।
रांची के अजीत टेटे ने वर्ष 1987 में अपनी युवावस्था में ही सीमा सुरक्षा बल में बतौर अधिकारी योगदान दिया था। योगदान के बाद से ही वह कठिन चुनौतियों का निरंतर सामना करते आ रहे हैं। नौकरी के प्रारंभिक जीवन में राजस्थान के जोधपुर में नये बटालियन के गठन के साथ साथ उन्होंने इस दौर के पंजाब का आतंकवाद का भी जमकर मुकाबला किया। दूसरी तरफ अपने खेल जीवन की रूचियों की वजह से वह अपने इलाके में खेल को भी प्रोत्साहित करते रहे। इसी वजह से जोधपुर की उनकी टीम ने वर्ष 1988 में शिलिगुड़ी में आयोजित राष्ट्रीय बीएसएफ एथेलेटिक्स प्रतियोगिता में चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। अपनी सेवाकाल में उन्होंने कश्मीर के आतंकवाद और पाकिस्तान से होने वाली फायरिंग का भी डटकर मुकाबला किया। इसकी वजह से उनकी पहले भी न सिर्फ सराहना हुई बल्कि उन्हें सीमा सुरक्षा बल के डीजी की तरफ से प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया था। वहां से उनका तबादला मणिपुर के इलाके में हुआ। वहां की विकट भौगोलिक परिस्थितियों के बीच भी उन्होंने वहां के उग्रवादियों का मुकाबला किया और शांति बनाये रखने में अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभायी।
अपने सेवाकाल में वह संयुक्त राष्ट्र की शांतिसेना के सदस्य बनकर बोस्निया और हेरजेगोविना में भी तैनात रहे। वहां उन्होंने अमेरिकी सेना के साथ तालमेल बैठाकर हिंसा को नियंत्रित करने में प्रमुख भूमिका निभायी थी। उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र ने भी वर्ष 1998 में उन्हें यूनाइटेड नेशंस मेडल से सम्मानित किया था। कश्मीर की वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास आतंकवादियों और पाकिस्तान की चुनौतियों का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के लिए उन्हें वर्ष 2011 में पहली बार राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था।
रांची के अजीत टेटे ने बांग्लादेश की सीमा पर बतौर डीआईजी पदस्थापित होने के दौरान खास तौर पर मवेशियों की तस्करी पर रोक लगाने की अहम भूमिका निभायी। पशु तस्करों पर हर रोज तस्करी के नये नये तरीके ईजाद किये जाने का भी उन्होंने न सिर्फ निदान किया बल्कि उनकी खोज के आधार पर दूसरी सीमाओं पर भी तस्करी पर इसी तरीके से लगाम लगाया जा सका। अपने 33 वर्षों के सक्रिय सेवा काल के दौरान बार बार उल्लेखनीय सेवाओं और राष्ट्र को उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें दूसरी बार राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया है। वर्तमान में रांची के अजीत टेटे कोलकाता में बतौर डीआईजी पदस्थापित हैं।