Sunday 20th of April 2025 05:56:20 AM
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महिला चिकिस्तको की कमी का दंश झेल रहे गावां वासी

स्वस्थ्य केंद्र गावां

गिरिडीह/ गावां : सरकार जहां लोगों के बेहतर स्वास्थ्य सुवाधिाओं के लिए लाख दावे करती हो मगर हकीकत कुछ और बयां कर रही है। क्षेत्र में स्वास्थ्य सुवाधिाओं का घोर अभाव है जो सरकारी दावों के पोल खोल रही है। खास कर आधी आबादी का इलाज भगवान भरोसे है। क्षेत्र में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी महिला डॉक्टर नही है। महिला चिकित्सक के नहीं रहने के कारण गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए काफी परेशान होना पड़ता है। प्रसव पीड़िता के इलाज के लिए चिकित्सकों का जहां टोटा है। वहीं लोगों को एएनएम के भरोसे रहना पड़ता है। एक भी महिला चिकित्सक की तैनाती न होने से लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है।

महिला व शिशुरोग चिकित्सक की कमी :

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिशु रोग चिकित्सक व महिला चिकित्सक की कमी प्रखंडवासियों को वर्षो से खल रही है। स्थिति यह है कि प्रसव कराने आई महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गावां प्रखंड क्षेत्र के किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में महिला चिकित्सक का पदस्थापन नहीं किया गया है। यहां 12 स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं। प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी महिला डॉक्टर नहीं है। इससे यहां की महिलाओं को उपचार सहित जांच में भारी परेशानी होती है।

ऑपरेशन की व्यवस्था नदारद :

अगर ऑपरेशन की नौबत आ जाए तो तुरंत 100 किमी दूर सदर अस्पताल गिरिडीह ले जाना परिजनों की विवशता होती है। अगर कोई दुर्घटना ग्रस्त होकर जख्मी आ गया तो मरहम-पट्टी कर उसे तुरंत रेफर कर दिया जाता है। हालांकि सरकारी प्रयास से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का कायाकल्प हुआ है। हॉस्पिटल तो बने मगर डॉक्टर और सुविधाओं की घोर कमी आज भी है। रोस्टर के अनुसार बंध्याकरण आपरेशन भी हो रहा है। लेकिन डॉक्टरों की कमी, दवा की अनुपलब्धता, एएनएम की कमी से समुचित स्वास्थ्य सेवा विफल साबित हो रही है। खास कर गरीबों को कोई अहमियत यहां नहीं दी जाती है। अस्पताल में कई पद रिक्त है जो भरे नहीं गए है। गरीब असहाय मरीजों को सरकारी स्वास्थ्य लाभ का फायदा पहुंचाना स्वास्थ्य तंत्र की जिम्मेदारी है। लेकिन यहां किसी को कोई परवाह नहीं।

इन पंचायतों में है स्वास्थ उपकेन्द्र :

प्रखंड के ग़दर पंचायत, पिहरा पंचायत, सांख पंचायत, बादीडीह पंचायत ,सेरुआ पंचायत, मंझने पंचायत, पसनोर पंचायत व जमडार पंचायत, बरमसिया , चरकी व कहुवाई में लाखो रुपये खर्च कर उपकेंद्र बने है लेकिन एएनएम व डॉक्टर की कमी होने से यह बिल्डिंग टूटने लगी है। लाखो रूपये की सम्पत्ति का नुकसान हो रहा है। वही ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नही हो रहा है। गांवा प्रखंड से गिरिडीह जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर है। स्थानीय स्तर पर स्वास्थ की व्यवस्था नही होने के कारण इतनी लम्बी दुरी तय करने के दौरान कई लोग रास्ते मे ही दम तोड़ देते है।


गंभीर परेशानी होने पर जाना पड़ता गिरीडीह या तिलैया :

महिलाओं को छोटी मोटी परेशानी या फिर कोई गंभीर दिक्कत आने पर प्रखंड मुख्यालय से 70 किलोमीटर तिलैया या फिर 100 किलोमीटर दूर गिरीडीह जाना पड़ता है। खास कर मध्यम वर्गीय या फिर गरीब तबके के लोगों को इलाज हेतु आर्थिक परेशानी के दौर से गुजारना पड़ता है।

विधायक बाबूलाल मरांडी का है यह क्षेत्र :

झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे राजधनवार विधायक बाबूलाल मरांडी से क्षेत्र की महिलाओं को काफी आस है। विधायक इस मामले में पहल कर सकते हैं। दर्जनों महिलाओं ने महिला चिकित्सकों के पदस्थापन की मांग करती है। मांग करने वाली महिलाओं में पूजा देवी, जसोदा देवी, सोनी कुमारी, उषा देवी सहित अन्य शामिल हैं।

गांवा प्रखण्ड के ग्रामीणों करते है कई सवाल

सांसद, विधायक, जिला परिषद व मुखिया तो चुनाव के समय प्रखंड के ग्रामीणों को यह आश्वासन देते है कि हमारी पहली प्राथमिकता होगी गांवा के स्वास्थ विभाग में डॉक्टर की व्यवस्था, रेफरल अस्पताल की व्यवस्था करना, लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि गांवा प्रखण्ड के ग्रामीणों को ऐसे भूल जाते है जैसे चुनाव खत्म वायदे खत्म।

पसस की बैठक में कई बार उठा है मुद्दा :

निवर्तमान पंचायत समिति सदस्य नवीन कुमार

निवर्तमान उपप्रमुख नवीन कुमार ने बताया कि पंसस की बैठक में यह मुद्दा कई बार उठाया गया है। डीसी को भी आवेदन देकर महिला चिकित्सक की मांग की गई है लेकिन अब तक गावां को महिला चिकित्सक नही मिली है। एक महिला चिकित्सक की पोस्टिंग गावां में हुई थी लेकिन अबतक पदभार ग्रहण नही की है।

हेमन्त सरकार, डीसी व सिविल सर्जन से मांग

निवर्तमान जिप सदस्य राजेंद्र चौधरी ने राज्य सरकार व सिविल सर्जन व डीसी से मांग किया है कि गावां में महिला चिकित्सक का पदस्थापन हो। ताकि क्षेत्र की महिलाओं का इलाज सही तरीके से हो सके। महिला चिकित्सक नही होने से महिला मरीजों को गिरीडीह या तिलैया जाना पड़ता है। जिससे न केवल परेशानी होती है बल्कि कई बार बड़ी घटनायें भी घटित हो जाती है।

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