उज्ज्वल दुनिया/रांची । झारखंड राज्य की नियोजन नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सरकार की नियोजन नीति में अनुसूचित जिलों में गैर अनुसूचित जिलों के लोगों को नौकरी के अयोग्य माना गया है। जबकि अनुसूचित जिलों के लोग गैर अनुसूचित जिले में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
सोनी कुमारी एवं अन्य ने सरकार के इस नीति को असंवैधानिक बताते हुई हाईकोर्ट से नीति को निरस्त करने का आग्रह किया है। पूर्व में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को नोटिस जारी किया था और अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था। शुक्रवार को जस्टिस एचसी मिश्र,जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिका में कहा गया है कि प्रार्थी गैर अनुसूचित जिले की रहने वाली है। उसने दूसरे जिले में हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनका आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि वह गैर अनुसूचित जिले की हैं। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
हाईकोर्ट को बताया गया कि सरकार की यह नीति असंवैधानिक है। सरकार की इस नीति से झारखंड के लोग अपने ही राज्य में नौकरी के हकदार नहीं है। इस नीति से सभी पद किसी एक जिले के लोगों के लिए ही आरक्षित कर दिए गए हैं। इस कारण यह शत-प्रतिशत आरक्षण भी हो गया है, जबकि संविधान में शत- प्रतिशत आरक्षण को उचित नहीं बताया गया है। इस कारण सरकार की इस नीति को असंवैधानिक घोषित करते हुए रद्द कर देना चाहिए।
जबकि सरकार और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने राज्य की नियोजन नीति को सही ठहराते हुए अदालत में कहा कि झारखंड में कई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही यह नीति बनायी गयी है। करीब डेढ़ घंटे तक सुनवाई करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।