नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को परामर्श जारी कर कहा है कि महिलाओं के साथ हो रहे अपराध मामले में पुलिस थाने की कार्रवाई अनिवार्य कर दी जाए। मंत्रालय द्वारा जारी नए परामर्श में कहा गया है कि अगर महिला के साथ किसी तरह का अपराध थाने के अधिकार क्षेत्र के बाहर हुआ है तो भी उस स्थिति में ‘शून्य प्राथमिकी’ दर्ज की जाए जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के हाथरस और राजस्थान में हुए बलात्कार की घटना के बाद महिला सुरक्षा पर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को मुख्य सचिवों को नया परामर्श जारी कर कहा कि नियमों का पालन नहीं करना न्याय दिलाने के लिहाज उचित नहीं होगा। परामर्श में कहा गया है कि अगर थाने के स्टॉफकर्मी या किसी अधिकारी के द्वारा महिला के साथ हुए अपराध मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाने की जानकारी मिलने पर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। कानून में इसके लिए सजा का प्रावधान भी है।
मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में यह भी कहा गया है कि बलात्कार के मामले में पूरी जांच दो महीने के अंदर पूरी हो जानी चाहिए और इसकी रिपोर्ट सरकार की ओर से बनाये गये पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाना चाहिए। इस ऑनलाइन पोर्टल का नाम ‘इंवेस्टिगेशन ट्रेकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल अफेंसेज (आईटीएसएसओ)’ है। मंत्रालय इस पोर्टल के जरिए हर मामले की निगरानी कर सकेगा।
इसके साथ परामर्श में यह भी कहा गया है कि बलात्कार या यौन शोषण के मामले में पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर 24 घंटे के अंदर मेडिकल जांच करेगा और फॉरेंसिक साइंस सर्विसेज डायरेक्ट्रेट ने यौन शोषण के मामले में फॉरेंसिक सबूत एकत्र करने और उसे स्टोर करने की जो गाइडलाइन बनाई है, उसका पालन होना चाहिए। नए परामर्श में यह भी कहा गया है कि संज्ञेय अपराध की स्थिति में प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है।