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प्रधानमंत्री ने मार्कशीट को बताया ‘प्रेशर शीट’, कहा

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अंग्रेजी के साथ अन्य विदेशी भाषाओं के सीखने पर कोई पाबंदी नहीं

ई-5 पर जोर, शिक्षा में नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा 

प्री स्कूल में फन लर्निंग कराने वाले शिक्षकों की जरूरत 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को बड़ी चुनौती करार देते हुए कहा कि असल काम की शुरुआत तो अब हुई है। उन्होंने 21वीं सदी में स्कूली शिक्षा के विषय पर शुक्रवार को देशभर के शिक्षकों को वर्चुअल संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद अब पूरा जोर इसके अमल को लेकर है।

प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षा मंत्रालय द्वारा 21वीं सदी में स्कूली शिक्षा विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए हर क्षेत्र, विधा और भाषा के लोगों ने पिछले चार-पांच वर्षों में कड़ी मेहनत की है लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, अब काम की असली शुरुआत हुई है। अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उतने ही प्रभावी तरीके से लागू करना है और ये काम हम सब मिलकर करेंगे।उन्होंने कहा कि 2022 में जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मनाएगा, उस समय स्कूली छात्रों के पास एक नया पाठ्यक्रम होना चाहिए। नई शिक्षा नीति 21वी सदी के भारत को एक नई दिशा देने जा रही है और हम उस क्षण का हिस्सा बन रहे हैं, जो हमारे देश के भविष्य के निर्माण की नींव रख रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में शायद ही हमारे जीवन का कोई पहलू समान रहा हो लेकिन हमारी शिक्षा प्रणाली अभी भी पुरानी व्यवस्था के तहत चल रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे नए भारत की नई आकांक्षाओं और नई उम्मीदों को पूरा करने का एक माध्यम है।

छात्रों के लिए मार्कशीट ‘प्रेशर शीट’ और परिवारों के लिए ‘प्रेस्टीज शीट’

बच्चों की स्कूल मार्कशीट को समाज में प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाये जाने के कारण छात्रों में बढ़ते तनाव के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए मार्कशीट ‘प्रेशर शीट’ और परिवारों के लिए ‘प्रेस्टीज शीट’ बन गई। एनईपी का लक्ष्य इस दबाव को दूर करना है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मार्कशीट के स्थान पर हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड पर बल दिया गया है। 

अंग्रेजी के साथ अन्य विदेशी भाषाओं के सीखने पर पाबंदी नहीं

मातृभाषा में 5वीं कक्षा तक पढ़ाने की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भाषा शिक्षा का केवल माध्यम मात्र है, यह पूरी शिक्षा नहीं है। विश्व में कई देशों में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नई शिक्षा नीति में अंग्रेजी के साथ अन्य विदेशी भाषाओं के सीखने पर कोई पाबंदी नहीं है। 

ई-5 पर जोर, शिक्षा में नए तौर-तरीकों को बढ़ाने की सलाह

मोदी ने कहा कि हमें शिक्षा में नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा। इंगेज, एक्सप्लोर, एक्सपीरियंस, एक्सप्रेस और एक्सल बच्चों के लिए नए युग की शिक्षा का हमारा मंत्र होना चाहिए। क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलोब्रेशन, क्यूरोसिटी और कम्युनिकेशन 21वीं सदी के स्किल होंगे।


प्री स्कूल में फन लर्निंग कराने वाले शिक्षकों की जरूरत 

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा नीति में बच्चों की शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया गया है। बच्चा प्री स्कूल में पहली बार माता-पिता से दूर जाता है। ऐसे में प्री स्कूल में ऐसे शिक्षकों की जरूरत है जो उन्हें फन लर्निंग कराएं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी का निर्माण बचपन से ही शुरू हो जाता है इसलिए जैसा बचपन होगा भविष्य उसी पर ही निर्भर करता है। 
मोदी ने शिक्षकों से नई शिक्षा नीति के मद्देनजर खुद को तैयार करने का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें काफी कुछ सीखना होगा तो कुछ पुराना भूलना भी होगा।

आसपास के परिवेश से जोड़ने पर जोर 

प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से कहा कि वह बच्चों को आसपास के परिवेश से जोड़कर अध्यापन पर जोर दें। उन्होंने इसके लिए शिक्षकों को सलाह दी कि वह बच्चों को रेलवे स्टेशन, फायर स्टेशन, अस्पताल, हथकरघा उद्योग लेकर जाएं और उन्हें प्रश्न पूछने के लिए भी प्रेरित करें। मोदी ने अपने आसपास के परिवेश से सीखने के संबंध में ईश्वर चंद्र विद्यासागर और जापान में विद्यार्थियों को प्रकृति के करीब ले जाकर सीखने के अवसर मुहैया कराने का भी जिक्र किया। 

मोदी ने मुख्यमंत्री काल में किए प्रयोग का दिया उदाहरण 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उस समय उन्होंने बच्चों में पर्यावरण के साथ-साथ अपने आसपास के परिवेश से परिचित कराने के लिए बच्चों को क्षेत्र के सबसे पुराने पेड़ तलाशने का जिम्मा सौंपा था। 

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