उज्ज्वल दुनिया/पटना । नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार को एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला। तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा है कि नीतीश कुमार ने 1995 में बिहार में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ा था तो मात्र 7 सीट आयी थी। 2014 में लेफ़्ट के साथ मिलकर लड़े, तो मात्र 2 सीट आयी थी। नीतीश कुमार यदि जीवन में कभी भी अकेले चुनाव लड़ेंगे, तो प्रतापी चेहरे को दहाई के अंकों में भी सीट प्राप्त नहीं होगी।
वहीं कुछ दिनों पहले ही बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को लेकर भाजपा की ओर से जारी पोस्टर ‘ना भूले हैं, ना भूलने देंगे’ के जवाब में आरजेडी की ओर से कुछ स्टिकर जारी किये गए हैं। इन स्टिकरों में लिखा है कि ना भूल हैं ना भूलने देंगे… कोरोना काल में किस तरह मजदूरों पर लाठीचार्ज करवायी गई। कैसे श्रमवीरों को बस व रेल दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवानी पड़ी। कैसे लाखों लोगों को सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर होना पड़ा। कैसे 40 लाख से ज्यादा बिहारवासियों को आपने मरने के लिए छोड़ दिया था।
इससे पहले मंगलवार को तेजस्वी यादव ने कहा है कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खुली बहस को तैयार हैं। सीएम कहते हैं कि मै बिना ज्ञान के बोलता हूं तो तथ्यों के साथ बहस करने में हर्ज क्या है। आरोप लगाया कि सरकार शब्दों की बाजीगरी करती है।
नेता प्रतिपक्ष ने जदयू के वर्चुअल रैली से पहले दस सवालों की फेहरिस्त जारी की थी। रैली खत्म होने के बाद तेजस्वी ने कहा कि मेरे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया गया। कहा कि छह माह बाद सरकार कह रही है कि कोराना जांच के लिए मशीन लाएंगे। अब तक तो सरकार आंकड़ों का फर्जीवाड़ा कर ही लोगों को गुमराह करती रही। अगर राजद का 15 वर्ष का जंगलराज था तो क्यों 2015 में जदयू ने गठबंधन क्यू किया।
नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया था कि सरकार बताए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित 1.65 लाख करोड़ के पैकेज का कितनी राशि ख़र्च हुई और कहां हुई। 15 वर्षों में रोज़गार क्यों नहीं दिया, बिहार में उद्योग-धंधे क्यों नहीं लगा और बिहार में नियमित बहाली क्यों नहीं की गई। बेरोज़गारी दर देश में सबसे अधिक 46.6 प्रतिशत क्यों है? नीति आयोग के सारे सूचकांकों पर बिहार साल दर साल क्यों पिछड़ता चला गया? नीति आयोग की रिपोर्ट अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य व सतत विकास सूचकांक में यह राज्य अंतिम पायदान पर कैसे पहुंचा।