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अवमानना केस में बोले भूषण

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को बयान पर ‘पुनर्विचार’ करने के लिए दिया दो दिन का समय

उज्ज्वल दुनिया नई दिल्ली, 21 अगस्त (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने ट्वीट्स के मामले पर वकील प्रशांत भूषण को अपने बयान पर पुनर्विचार करने के लिए  दो दिन का समय दिया है। प्रशांत भूषण ने महात्मा गांधी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि न मुझे दया चाहिए न मैं इसकी मांग कर रहा हूं। मैं कोई उदारता भी नहीं चाह रहा। कोर्ट जो भी सज़ा देगा मैं उसे सहर्ष लेने को तैयार हूं। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने प्रशांत भूषण को सजा नहीं देने की मांग की लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया।

सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने सजा पर बहस टालने की मांग की। उन्होंने दलील दी कि दोषी ठहराने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करना है। इसके लिए 30 दिन समय दिये जाने का प्रावधान है। तब जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि हम जो भी सज़ा तय करेंगे, उस पर अमल पुनर्विचार याचिका पर फैसले तक स्थगित रखा जा सकता है । जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि सजा पर बहस होने दीजिए। सजा सुनाये जाने के बाद हम तत्काल सजा लागू नहीं करेंगे। हम पुनर्विचार याचिका पर फैसले का इंतज़ार कर लेंगे। हमें लगता है कि आप इस बेंच को नजरअंदाज करना चाहते हैं। बता दें कि जस्टिस मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं।

प्रशांत भूषण ने कहा कि मुझे यह सुनकर दुःख हुआ है कि मुझे अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है । प्रशांत भूषण ने कहा कि मैं इस बात से दुखी नहीं हूं कि मुझे सजा हो सकती है बल्कि इस बात से दुखी हूं कि मुझे गलत समझा गया। प्रशांत भूषण ने कहा कि मेरा मानना है कि लोकतंत्र और इसके मूल्यों की रक्षा के लिए एक खुली आलोचना आवश्यक है । मेरे ट्वीट्स मेरे कर्तव्यों का निर्वहन करने का प्रयास हैं । मेरे ट्वीट्स को संस्था की भलाई के लिए काम करने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।

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