लगभग दो सौ सालों तक अमेरिकी सरकार के सभी महत्वपूर्ण पदों पर मर्दों का कब्जा रहा है। कुछ को छोड़कर लगभग सभी मर्दों के चमड़े का रंग सफेद ही रहा है। भारतीय मूल की कमला हैरिस ने ये सिलसिला तोड़ दिया है । वह राष्ट्रपति जो बाइडेन (78) के साथ काम करेंगी। कमला देवी हैरिस ने 61 वर्षीय माइक पेंस की जगह ली है, जबकि बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप की जगह ली है।
अपने पहले संबोधन में उन्होंने महिलाओं के मताधिकारों के लिए खड़ी हुई सभी औरतों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि हर बच्ची, जो आज मुझे देख रही है, वो जान जाएगी कि यह संभावनाओं का देश है । उन्होंने कहा, ‘जब हमारा लोकतंत्र इस चुनाव में बैलेट पर था, जिसमें अमेरिका की आत्मा दांव पर थी और दुनिया देख रही थी, तब आपने अमेरिका में एक नए दिन की शुरुआत की. हमारे कैंपेन स्टाफ और वालंटियर्स और इस असाधारण टीम का शुक्रिया, जिन्होंने पहले की तुलना में इस बार ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जोड़ा और इस जीत को संभव किया.’
उन्होंने कहा,’देशभर के मतदानकर्मियों और चुनाव अधिकारियों का शुक्रिया, जिन्होंने हर वोट गिनने के ल
हैरिस ने कहा, ‘आपने हमारे लोकतंत्र की अखंडता की रक्षा की है. अमेरिकी लोग, जिन्होंने इस खूबसूरत देश को बनाया है, रिकॉर्ड संख्या में आगे आकर वोट करने के लिए शुक्रिया. आप आगे आए ताकि आपकी आवाज सुनी जा सके और मैं जानती हूं कि आपके लिए पिछला समय काफी चुनौतीपूर्ण रहा है, विशेष रूप से पिछले कुछ महीने.’
उन्होंने कहा, ‘आपने दुख, दर्द, चिंता और संघर्ष का सामना किया है लेकिन हमने आपका साहस, आपकी दृढ़ता और आपकी उदारता भी देखी है. पिछले चार सालों से आपने समानता और न्याय, हमारी जिंदगी, हमारे ग्रह के लिए मार्च किया और फिर वोट किया. आपने एक स्पष्ट संदेश दिया. आपने उम्मीद, एकता, शालीनता, विज्ञान और सच्चाई को चुना. आपने अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के तौर पर जो बाइडेन को चुना.’
हैरिस ने अपनी दिवंगत मां को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘मेरी मां श्यामला गोपालन हैरिस , जो हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी. जब वह 19 साल की उम्र में भारत से यहां आई थीं, उन्होंने इस पल के बारे में सोचना भी नहीं होगा लेकिन उन्होंने गहराई से अमेरिका में विश्वास किया, जहां इस तरह के पल संभव हैं इसलिए मैं उनके बारे में सोच रही हूं और महिलाओं, अश्वेत महिलाओं, एशियाई, श्वेत, लैटिन, मूल अमेरिकी महिलाओं के बारे में सोच रही हूं, जिन्होंने हमारे देश के इतिहास में आज रात के लिए मार्ग प्रशस्त किया.’
उन्होंने कहा, ‘वे महिलाएं जिन्होंने समानता एवं स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय के लिए लड़ा और बलिदान दिया. इनमें अश्वेत महिलाएं भी हैं, जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज किया गया लेकिन अक्सर ये साबित हो गया कि ये हमारे लोकतंत्र की रीढ़ हैं.